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अगस्ता गारंटी : राशि वसूलने के लिए रक्षा मंत्रालय उठाएगा कदम

नयी दिल्ली : इटली की एक अदालत द्वारा आंशिक रुप से रोक हटाए जाने और वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में अगस्तावेस्टलैंड द्वारा जमा की गई 1,818 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने की भारत को अनुमति दिए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने आज कहा कि वह राशि को पूरी तरह वसूलने के लिए तत्काल […]

नयी दिल्ली : इटली की एक अदालत द्वारा आंशिक रुप से रोक हटाए जाने और वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में अगस्तावेस्टलैंड द्वारा जमा की गई 1,818 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी को भुनाने की भारत को अनुमति दिए जाने के बाद रक्षा मंत्रालय ने आज कहा कि वह राशि को पूरी तरह वसूलने के लिए तत्काल कदम उठाएगा.

इटली की अदालत ने 23 मई को भारत को इस बात की अनुमति दे दी थी कि वह वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में अगस्तावेस्टलैंड द्वारा इटली के बैंकों में जमा किए गए 2,217 करोड़ रुपये में से 1,818 करोड़ रुपये की राशि वसूल कर ले. भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी के आरोप लगने के बाद वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदा रद्द कर दिया गया था.

रक्षा मंत्रालय की एक विज्ञप्ति में कहा गया, वीवीआइपी हेलीकॉप्टर मामले में बैंक गारंटी और परफॉर्मेंस बांड के भुगतान पर मिलान कोर्ट ने अपने फैसले में असल में अगस्तावेस्टलैंड इंटरनेशनल लिमिटेड (एडब्ल्यूआइएल), ए.डब्ल्यू स्पा और ड्यूश्च बैंक, इटली के खिलाफ भारत सरकार के दावों को बरकरार रखा है.

इसने कहा, अदालत ने ए.डब्ल्यू.आइ.एल और ए डब्ल्यू स्पा को यह भी आदेश दिया कि वह भारत सरकार को मुकदमे पर खर्च हुई राशि का भी भुगतान करे. रक्षा मंत्रालय आदेश का अध्ययन कर रहा है और राशि को पूरी तरह वसूलने के लिए तत्काल कदम उठाएगा. इस साल 1 जनवरी को 3,600 करोड रुपये का सौदा रद्द होने के बाद भारत ने इटली और भारत के बैंकों में जमा बैंक गारंटियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरु कर दी थी.

भारतीय बैंकों में जमा धन को भुना लिया गया था, जबकि इटली की अदालत ने उस देश में जब्ती की प्रक्रिया पर रोक लगा दी थी. भारत कंपनी से बैंक गारंटीज की जब्ती और जुर्माना लगाने के रुप में 65 करोड़ यूरो (करीब 5,470 करोड़ रुपये) से ज्यादा की राशि के दावे की प्रक्रियाओं पर काम कर रहा है.

भारत ने 12 ए.डब्ल्यू-101 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के लिए 3,600 करोड़ रुपये के सौदे को रिश्वतखोरी के आरोपों के चलते एक जनवरी को रद्द कर दिया था. रक्षा मंत्रालय ने भी कंपनी को काली सूची में डालने की प्रक्रिया शुरु कर दी थी, लेकिन मामले में भारत और इटली द्वारा जारी जांच के मद्देनजर सॉलिसिटर जनरल ने इस संबंध में कोई कार्रवाई करने से पहले प्रतीक्षा करने की सलाह दी थी.

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