लंदन: वेदांता रिर्सोसेज को 2013-14 में 19.6 करोड डालर का नुकसान हुआ और इस दौरान उसकी आय में भी 11.6 प्रतिशत की गिरावट आयी. लंदन स्टाक एक्सचेंज में सूचीबद्ध विविध कारोबार से जुडे इस समूह को 2012-13 16.2 करोड डालर का लाभ हुआ था.
प्रवासी भारतीय अनिल अग्रवाल की अगुवाई वाली कंपनी के अनुसार आलोच्य अवधि में उसके परिचालन लाभ में 41.77 करोड डालर कमी है.इस दौरान उसकी आय 11.6 प्रतिशत घटकर 12.945 अरब डालर रही जो एक वर्ष पूर्व 2012-13 में 14.64 अरब डालर थी.
अग्रवाल ने कहा, ‘‘हमने राजस्थान ब्लाक में उत्पादन बढने से तेल एवं गैस का रिकार्ड उत्पादन हासिल किया है. साथ ही जिंक इंडिया में भी रिकार्ड उत्पादन हुआ…’’ वेदांता दुनिया का सबसे बडा विविध कारोबार से जुडा समूह है जो भारत, जांबिया, नामीबिया, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड, लाइबेरिया, आस्ट्रेलिया तथा श्रीलंका में काम कर रहा है. कंपनी अल्यूमीनियम, तांबा, जस्ता, सीसा, चांदी, लौह अयस्क, बिजली तथा तेल एवं गैस का उत्पादन करती है.सिंह का जन्म 26 सितंबर 1932 को गाह गांव में हुआ था. ये गांव अब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में है. सिंह सरकार के आर्थिक सलाहकार और योजना आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे.
कांग्रेस 2004 के आम चुनावों के बाद जब कुछ अन्य पार्टियों के सहयोग से केंद्र में सरकार बनाने की स्थिति में आयी तो किसी को उम्मीद नहीं थी कि सिंह प्रधानमंत्री बनेंगे क्योंकि प्रधानमंत्री पद के लिए पार्टी प्रमुख स्वाभाविक दावेदार होता है.सोनिया ने हालांकि अंतिम क्षण में सबको हैरत में डालते हुए सिंह के नाम का प्रस्ताव प्रधानमंत्री पद के लिए कर दिया, जिसका पार्टी के अन्य सदस्यों ने समर्थन किया.
उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार की कमान संभाली और सरकार की सफलता के कारण ही संभवत: सोनिया ने उन्हें दूसरी बार इस पद के लिए 2009 में चुना.
उनके पहले पांच साल के कार्यकाल के दौरान मनरेगा और आरटीआई जैसी बडी पहल हुइ’. वाम दलों के कडे विरोध के बीच भारत-पाक असैन्य परमाणु करार पर आम तौर पर मृदुभाषी सिंह ने कडा रुख अख्तियार किया. वाम दल उस समय सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे थे.
सिंह ने साफ कहा कि वह अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धता से पीछे नहीं हटेंगे, चाहे उनकी सरकार गिर ही क्यों न जाए. वाम पार्टियों ने सरकार से समर्थन खींच लिया लेकिन सपा और बसपा की मदद से सरकार विश्वास मत हासिल करने में सफल रही.
अमेरिका के साथ मजबूत संबंधों के लिए काम करने के अलावा पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण संबंध बनाये रखने की सिंह की प्रतिबद्धता से द्विपक्षीय संबंधों को पटरी पर लाने में मदद मिली.सिंह का दूसरा कार्यकाल तीन बडे कथित घोटालों के कारण दागदार रहा. इन घोटालों की कुल रकम लगभग 4 लाख करोड रुपये बतायी जाती है. विपक्ष को ये आरोप लगाने का मौका मिला कि ‘‘अभूतपूर्व’’ भ्रष्टाचार हुआ है.
उनकी सरकार की परेशानियां यहीं कम नहीं हुई. अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ जबर्दस्त आंदोलन हुआ. कांग्रेस के खराब प्रदर्शन की भविष्यवाणियां जैसे ही आनी शुरु हुई, पार्टी नेताओं ने कहना शुरु किया कि सरकार ने अपनी उपलब्धियों के बारे में ठीक से जनता को नहीं बताया. इसे सिंह की चुप्पी पर परोक्ष प्रहार के रुप में देखा गया. अपने राजनीतिक कैरियर में सिंह 1991 से राज्यसभा सदस्य हैं.अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में राजग शासन के दौरान 1998 से 2004 के बीच वह राज्यसभा में विपक्ष के नेता रहे.
इससे पहले वह भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में 1971 में आर्थिक सलाहकार बने. उसके तुरंत बाद 1972 में वह वित्त मंत्रालय में मुख्य आर्थिक सलाहकार बने. फिर वह वित्त मंत्रालय में सचिव रहे. रिजर्व बैंक के गवर्नर बने. प्रधानमंत्री के सलाहकार बने. विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के अध्यक्ष बने.
सिंह को अपने सार्वजनिक जीवन में कई पुरस्कार मिले. 1987 में उन्हें पदम विभूषण से सम्मानित किया गया. 1995 में उन्हें भारतीय विज्ञान कांग्रेस के जवाहरलाल नेहरु जन्म शती पुरस्कार से नवाजा गया. 1993 और 1994 में उन्हें ‘एशिया मनी एवार्ड फार फाइनेंस मिनिस्टर आफ दि इयर’ का पुरस्कार दिया गया और 1993 में उन्हें ‘यूरो मनी एवार्ड फार फाइनेंस मिनिस्टर आफ दि इयर’ का सम्मान मिला. 1956 में उन्हें कैम्ब्रिज यूनीवर्सिटी का ‘एडम स्मिथ प्राइज’ मिला. कैम्ब्रिज के सेंट जोन्स कालेज में बेहतरीन प्रदर्शन के लिए उन्हें 1955 में ‘राइट्स प्राइज’ मिला. उन्हें कैम्ब्रिज और आक्सफोर्ड सहित कई विश्वविद्यालयों की मानद डिग्री हासिल है.
Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.