नयी दिल्ली : सरकार ने को विभन्न उद्योगों में नवनियुक्त श्रमिकों के भविष्य निधि कोष में नियोक्ता के हिस्से का पूरा योगदान तीन साल तक खुद करने की योजना को मंजूरी दे दी. यह योगदान मूल वेतनका 12 फीसदी होगा. इसके साथ ही उम्मीद यह भी है कि इससे एक करोड़ नौकरियां सृजित करने के लक्ष्य को हासिल करने में मदद मिलेगी.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने बुधवार को इस प्रस्ताव को मंजूरी दी. इसके तहत उद्योगों में नये भर्ती किये गये श्रमिकों के भविष्य निधि कोष में नियोक्ताओं द्वारा किये जाने वाले पूरे 12 फीसदी अंशदान का बोझ पहले तीन साल तक सरकार उठायेगी. उम्मीद जाहिर की जा रही है कि इससे नियोक्ता नयी भर्तियों के लिए प्रोत्साहित होंगे.
श्रम मंत्री संतोष कुमार गंगवार ने गुरुवार को यहां निर्णय की जानतकारी देते हुए संवाददाताओं से कहा कि हमारी सरकार रोजगार के नये अवसर सृजित करने के लिए प्रतिबद्ध है. 2016 में लागू की गयी योजना के तहत पेंशन मद में नियोक्ताओं की तरफ से किये जाने वाले 8.33 फीसदी राशि का भुगतान सरकार करती है. हमने योजना को विस्तृत किया है.
उन्होंने कहा कि यह फैसला लिया गया है कि परिधान, वस्त्र एवं कपड़ा क्षेत्र में पूरे12 प्रतिशत अंशदान का वहन सरकार करेगी. उन्होंने कहा कि अगस्त, 2016 में शुरुआत के बाद प्रधानमंत्री रोजगार प्रोत्साहन योजना से पहले ही 30 लाख कामगार लाभान्वित हो चुके हैं. गंगवार ने कहा कि हमें लगता है कि सरकार के निर्णय से एक करोड़ नौकरियां सृजित करने में मदद मिलेगी.
उन्होंने कहा कि हम इस योजना के लिए बजट प्रावधान को बढ़ाकर 6,500-10,000 करोड़ रुपये तक करेंगे. इस योजना के तहत वैसे कर्मचारी आते हैं, जिन्होंने एक अप्रैल, 2016 के बाद रोजगार पाया है और उनका वेतन 15,000 रुपये प्रति महीने तक है.
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