नयी दिल्ली : खुदरा महंगाई के बाद प्याज और सब्जियों की कीमतों ने थोक मंडियों के बजट को बिगाड़ दिया है. थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति नवंबर में बढ़कर 3.93 फीसदी के आठ महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गयी. प्याज और अन्य सब्जियों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति बढ़ी है. अक्टूबर में थोक मुद्रास्फीति 3.59 फीसदी पर थी, जबकि पिछले साल नवंबर में यह 1.82 फीसदी थी. नवंबर में थोक मुद्रास्फीति का आंकड़ा चालू वित्त वर्ष में अभी तक सबसे ऊंचा है. इससे पहले अप्रैल में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 3.85 फीसदी पर पहुंची थी.
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वाणिज्य मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार, माह के दौरान सालाना आधार पर प्याज के दाम 178.19 फीसदी बढ़े. सीजन की अन्य सब्जियों की कीमतों में भी 59.80 फीसदी इजाफा हुआ. अक्टूबर में इन सब्जियों के दाम 36.61 फीसदी बढ़े थे. प्रोटीन वाले उत्पादों मसलन अंडा, मांस और मछली की महंगाई 4.73 फीसदी रही. इससे पिछले महीने यह 5.76 फीसदी थी.
नवंबर में खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति बढ़कर 6.06 फीसदी हो गयी, जो अक्टूबर में 4.30 फीसदी थी. विनिर्मित वस्तुओं की मुद्रास्फीति 2.61 फीसदी पर लगभग स्थिर रही. पिछले महीने यह 2.62 फीसदी थी. इससे पहले पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों के अनुसार, नवंबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 4.88 फीसदी के 15 महीने के उच्चस्तर पर पहुंच गयी थी.
उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा कि पेट्रोल और हाई स्पीड डीजल कीमतों में वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से लगातार चढ़ रही हैं. नीति निर्माताओं को इस पर ध्यान देना होगा, क्योंकि इससे आयात बिल प्रभावित हो सकता है. केयर रेटिंग्स ने कहा कि रबी फसल कम रहने से मुद्रास्फीति के ऊपर जाने का जोखिम बना रहेगा, क्योंकि इस साल बुआई क्षेत्र कम रहा है.
इक्रा की प्रमुख अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति में प्राथमिक खाद्य उत्पादों तथा मुख्य मुद्रास्फीति की वजह से बढोतरी हुई है.
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