नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद की आज होने वाली बैठक में निर्यातकों को तेजी से धन वापसी के साथ अनुपालन के संदर्भ में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. आज की बैठक में छोटी व्यपारियों को भी कुछ राहत मिलने वाले फैसले लिये जा सकते हैं. अधिकारियों ने कहा कि माल एवं सेवा कर परिषद […]
नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद की आज होने वाली बैठक में निर्यातकों को तेजी से धन वापसी के साथ अनुपालन के संदर्भ में कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. आज की बैठक में छोटी व्यपारियों को भी कुछ राहत मिलने वाले फैसले लिये जा सकते हैं. अधिकारियों ने कहा कि माल एवं सेवा कर परिषद (जीएसटी) की पूर्ण बैठक में जीएसटी नेटवर्क के कामकाज में सुधार का भी आंकलन किये जाने की संभावना है.परिषद की यह 22वीं बैठक होगी.
मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि जीएसटीएन में गड़बड़ी पर गौर करने के लिये बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील मोदी की अगुवाई में मंत्रियों का समूह गठित किया गया है. समूह पोर्टल के काम के बारे में परिषद को जानकारी देगा. निर्यातकों से जुडे मुद्दों पर गौर करने के लिये राजस्व सचिव हसमुख अधिया की अध्यक्षता में गठित समिति अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट कल दे सकती है.
उसके आधार पर परिषद निर्यातकों को कुछ राहत देने के लिये सिफारिश कर सकती है ताकि रिफंड के रुप में फंसी उनकी कार्यशील पूंजी जल्दी जारी हो सके.साथ ही केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीईसी) परिषद को यह सूचित करेगा कि वह 10 अक्तूबर से एकीकृत जीएसटी (आईजीएसटी) रिफंड के लिये तैयार है.राजस्व सचिव के साथ पिछले महीने बैठक में निर्यातकों ने कहा था कि उनके जीएसटी रिफंड में अनुमानत: 65,000 करोड़ रुपये फंसे हुए हैं.
जीएसटी व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत पहुँचाया जाये- सुशील मोदी
बिहार के उपमुख्यमंत्री सह वित्तमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आज कहा कि जीएसटी व्यवस्था में छोटे व्यापारियों को राहत पहुँचाया जाये. सुशील ने आज यहां एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे करदाताओं को कतिपय परेशानियों का सामना करना पड रहा है. इसलिए इन्हें राहत पहुंचाने के उद्देश्य से जीएसटी परिषद की आगामी 6 अक्तूबर को नई दिल्ली में आहूत बैठक में सदस्यों से कुछ उपायों पर विचार करने की उन्होंने अपील की है.
उन्होंने कहा कि जीएसटी व्यवस्था के तहत छोटे-बडे सभी व्यापारियों को प्रति माह विवरणी दाखिल करनी पडती है. अत: जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 1.5 करोड रुपये तक है, उन्हें मासिक के बजाय त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की सुविधा दी जाये. रिवर्स चेन्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था को फिलहाल स्थगित रखा जाये तथा कम्पाउंडिंग स्कीम के तहत 75 लाख रुपये की सीमा को बढाकर 1 करोड़ रुपये किया जाये. सुशील ने कहा कि पहले अधिकांश राज्यों में वैट व्यवस्था के अंतर्गत त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने का प्रावधान था, पर वर्तमान व्यवस्था में छोटे एवं बडे सभी करदाताओं को प्रतिमाह विवरणी दाखिल करनी पडती है, जिससे छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई हो रही है.
इस संबंध में सुझाव देते हुये सुशील ने कहा कि 1.5 करोड़ रुपये तक टर्न ओवर वाले करदाताओं को त्रैमासिक विवरणी दाखिल करने की अनुमति प्रदान की जाये. उन्होंने कहा कि वर्तमान में रिवर्स चार्ज मेकेनिज्म की व्यवस्था के तहत निबंधित करदाताओं को अनिबंधित आपूर्तिकर्ता से माल खरीदने पर कर भुगतान करना पडता है. जिसके कारण छोटे व्यापारियों को काफी कठिनाई होती है इसलिए फिलहाल रिवर्स चार्ज की व्यवस्था को स्थगित रखी जाए.
सुशील ने कहा कि कम्पाउंडिंग स्कीम के अन्तर्गत जिन व्यापारियों का टर्न ओवर 75 लाख रुपये तक का है उन्हें कुल बिक्री पर 1 प्रतिशत कर देना पड़ता है. छोटे व्यापारियों के लिये यह सीमा कम है इसलिए इस सीमा को बढाकर 1 करोड़ रुपये तक की जाये ताकि उन्हें राहत मिल सके.
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