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हृदयेश जोशी

वरिष्ठ पत्रकार

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चिंता बढ़ा रही हैं प्राकृतिक आपदाएं

अगर इन क्षेत्रों में हाइवे, होटलों और हाइड्रोपावर परियोजनाओं को यदि सतत और टिकाऊ तरीके से नहीं बनाया गया, तो आने वाले दिनों में इनसे विभीषिका की आशंका और बढ़ेगी.

केदारनाथ आपदा के दस साल बाद

केदारनाथ में नवनिर्माण के बाद गंगोत्री, यमुनोत्री और बदरीनाथ घाटियां भी संकट में हैं. इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक महत्वपूर्ण कारण है. पर्यावरणविद बता रहे हैं कि धरती का तापमान बढ़ने से ग्लेशियर पिघल रहे हैं और चौराबरी जैसी हिमनद झीलों का निर्माण हो रहा है.

पूरे हिमालय का संकट है जोशीमठ

जलवायु परिवर्तन एक बड़े संकट के रूप में पूरी दुनिया में छा रहा है. जोशीमठ में आज जहां एक ओर लोगों के सामने अपना घर छोड़ने का खतरा पैदा हो गया है, तो दूसरी ओर जलवायु परिवर्तन की वजह से जोशीमठ के खिसकने की संभावना और तेजी से बढ़ रही है.

मिट्टी में बढ़ते खतरनाक रसायन

हवा के साथ पूरी पारिस्थितिकी का चक्र बनाने वाले मिट्टी और पानी का जहरीला होना जैव विविधता के लिए भी एक बड़ा खतरा है, जिसके बिना कोई जीवन संभव नहीं है.

जलवायु परिवर्तन और अर्थव्यवस्था

संयुक्त राष्ट्र का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण आ रही प्राकृतिक आपदाओं के कारण भारत को सालाना करीब सात लाख करोड़ रुपये की क्षति हो रही है.