BREAKING NEWS
Trending Tags
डॉ अनुज
Posted By
Opinion
निजीकरण एकमात्र विकल्प नहीं है
विश्व बैंक जैसी संस्थाओं ने भी यह माना कि आर्थिक प्रवाह में विस्तार के साथ ही आर्थिक गैर-बराबरी भी बढ़ी है. हम जिन उदारवादी सिद्धांतों पर चलकर निजीकरण को अपनाते जा रहे हैं, अपने सामाजिक संदर्भों में उनका परीक्षण बेहद जरूरी है.
Opinion
बस्तर की त्रासदी के सबक
बस्तर में लगातार हो रही हिंसा को नीतिगत स्तर पर ही हल किया जा सकता है. आदिवासियों को पूर्वाग्रह से नक्सली मान कर निर्णय लेने की नीति कारगर साबित नहीं हो सकती है.
Opinion
आदिवासी सिनेमा का ऐतिहासिक क्षण
फिल्म ‘बांधा खेत’ झारखंड के आदिवासी समाज के जीवन संघर्ष की कलात्मक अभिव्यक्ति करती है. इस फिल्म की कहानी यहां की जमीन की उपज है.
Opinion
आदिवासी कला की समकालीनता
आदिवासी कलाओं की सबसे बड़ी विशेषता है कि ये औपनिवेशिक विचारों और प्रभावों से मुक्त होती हैं. कथित आधुनिकता के नाम पर ये औपनिवेशिकता की अनुचर नहीं हैं बल्कि इनकी मौलिकता ही देशज आधुनिकता की प्रस्तावक हैं.
Jharkhand
तिरिल : एक पेड़ और उससे जुड़े लोगों की कथा
तिरिल जंगल में मिलने वाला एक पेड़ है. यह भारतीय भूगोल का प्राचीन पेड़ है, जो अब केवल आदिवासी क्षेत्रों में बचा हुआ है. 'तिरिल' मुंडा भाषा परिवार का नाम है. आर्य भाषा परिवार में यानी हिंदी में इसे 'केंदू', केंद, या 'तेंदू' के नाम से जाना जाता है. यह औषधीय गुणों से युक्त पेड़ है.
Opinion
पर्यावरण संकट और हाथी
स्थानीय-आदिवासी लोक-ज्ञान परंपरा का अध्ययन करके भी ‘सह-अस्तित्व’ को बढ़ावा दिया जा सकता है. हाथियों के संरक्षण के लिए संवैधानिक निर्देशों का भी सही पालन किया जाना चाहिए.