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Ashutosh Chaturvedi

मीडिया जगत में तीन दशकों से भी ज्यादा का अनुभव. भारत की हिंदी पत्रकारिता में अनुभवी और विशेषज्ञ पत्रकारों में गिनती. भारत ही नहीं विदेशों में भी काम करने का गहन अनु‌भव हासिल. मीडिया जगत के बड़े घरानों में प्रिंट के साथ इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिता का अनुभव. इंडिया टुडे, संडे ऑब्जर्वर के साथ काम किया. बीबीसी हिंदी के साथ ऑनलाइन पत्रकारिता की. अमर उजाला, नोएडा में कार्यकारी संपादक रहे. प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के साथ एक दर्जन देशों की विदेश यात्राएं भी की हैं. संप्रति एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के सदस्य हैं.

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पाकिस्तान में मुखौटा पीएम का चुनाव

पाकिस्तान में लोकतंत्र की जड़ें इतनी कमजोर हैं कि तीन-चार साल बाद इस पर कोई न कोई कुठाराघात हो जाता है. वहां का प्रधानमंत्री सबसे कमजोर कड़ी है. चाहे वह भारी जनादेश वाली नवाज शरीफ की सरकार हो अथवा साधारण बहुमत वाली इमरान खान सरकार, सेना को उसे गिराते देर नहीं लगती है.

बीती ताहि बिसार दे, आगे की सुध लेय

बीती हुई बातों को पकड़ के बैठे रहने से कुछ हासिल होने वाला नहीं है, भविष्य का चिंतन करें, उसे खुशहाल बनाने की योजना बनाएं. नये साल का आगाज नयी उम्मीदों के साथ हो. हर साल अनेक उतार चढ़ाव और खट्टे-मीठे अनुभव देकर जाता है. नये साल में उनसे सबक लें. हम पिछले साल की घटनाओं पर नजर डाल सकते हैं.

क्या हमारा समाज हिंसक होता जा रहा है

टीवी की बहस हो अथवा संसद की चर्चा, वहां शाब्दिक हिंसा का चलन बढ़ा है. समाज में इसकी स्वीकार्यता भी बढ़ी है. जैसे हल्के शब्दों ने अब अपना प्रभाव खो दिया है. भारी भरकम शब्द ही अब प्रभावी होते नजर आ रहे हैं. यह भी सच है कि हिंसा का निशाना कमजोर तबके के लोग ज्यादा बनते हैं.

गांवों से शहरों को पलायन की चुनौती

पहले हमारी 20 प्रतिशत आबादी शहरों में रहती थी, जबकि 80 फीसदी आबादी गांवों में थी. अब शहरी आबादी 30 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण इलाकों में 70 फीसदी लोग रह रहे हैं. जो तथ्य सामने हैं, उनके अनुसार गुजरात जैसे विकसित राज्य में 48 प्रतिशत शहरीकरण हो चुका है और 2035 तक यह 60 प्रतिशत को पार कर जायेगा.

अलमारी के शीशों में बंद किताबें

साहित्य उत्सव के माध्यम से कोशिश हो रही है कि साहित्यकारों को एक स्थायी मंच मिल सके और पठन-पाठन को लेकर कुछ हलचल बढ़ सके. दिल्ली के एक ऐसे ही आयोजन का फलक तो इतना बड़ा हो गया है कि उसका आयोजन एक स्टेडियम में किया जाने लगा है और उसमें प्रवेश के लिए टिकट लगने लगा है.

प्रधानमंत्री मोदी की गारंटी काम आयी, पढ़ें चुनाव परिणाम पर यह खास लेख

2024 से पहले का हरेक विधानसभा चुनाव आपको लोकसभा चुनाव की ऊपरी सीढ़ी के नजदीक ले जाता है. भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक और सीढ़ी सफलतापूर्वक चढ़ गये हैं.