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हवा सिर्फ देश की राजधानी की नहीं झारखंड की भी हो गयी जहरीली

रांची : हवा सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली की खराब नहीं हो रही बल्कि देश के कई राज्यों की स्थिति खराब है. झारखंड मे जिन शहरों की स्थिति खराब है उनमें गोड्डा सबसे आगे है. इसके साथ ही कोडरमा, साहेबगंज, बोकारो, पलामू और धनबाद भी इस सूची में शामिल हैं. अगर इस प्रदूषण के आधार […]

रांची : हवा सिर्फ देश की राजधानी दिल्ली की खराब नहीं हो रही बल्कि देश के कई राज्यों की स्थिति खराब है. झारखंड मे जिन शहरों की स्थिति खराब है उनमें गोड्डा सबसे आगे है. इसके साथ ही कोडरमा, साहेबगंज, बोकारो, पलामू और धनबाद भी इस सूची में शामिल हैं. अगर इस प्रदूषण के आधार पर देखें, तो पायेंगे कि गोड्डा में रहने वाले लोगों का जीवन प्रदूषण के कारण पांच साल कम हो रहा है.

इसी तरह कोडरमा सहित उपरोक्त लिखित सभी शहरों के जीवनकाल को देखें तो क्रमश : 4.9 वर्ष, 4.8 वर्ष, 4.8 वर्ष, 4.7 वर्ष, और 4.7 वर्ष तक उम्र प्रदूषण के कारण घट रहा है. रांची के लोग भी चार साल और जीवन जी सकते थे. रांची झारखंड में सबसे प्रदूषित जिलो में शामिल नहीं है गोड्डा सबसे आगे है. इस आकड़े में गुमला सबसे नीचे है फिर भी लगभग साढ़े तीन साल यहां के लोगों का जीवन कम है.

झारखंड में वायु प्रदूषण गंभीर
शिकागो विश्वविद्यालय, अमेरिका की शोध संस्था ‘एपिक’द्वारा तैयार ‘वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक’ (एक्यूएलआई ) के नये विश्लेषण के अनुसार, वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति के कारण झारखंड के नागरिकों की ‘जीवन प्रत्याशा’ (Life Expectancy) औसतन 4.4 वर्ष कम हो रही है. जीवन प्रत्याशा में उम्र बढ़ सकती है, अगर यहां के वायुमंडल में प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों एवं धूलकणों की सघनता 10 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक सीमित हो. एक्यूएलआई के आंकड़ों के अनुसार राजाधानी रांची के लोग 4.1 वर्ष ज्यादा जी सकते थे, अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशा निर्देशों को हासिल कर लिया जाता.
देश के लिए बड़ी चुनौती बना वायु प्रदूषण
वायु प्रदूषण पूरे भारत में एक बड़ी चुनौती है. भारत की आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक (48 करोड़) लोग उत्तर भारत के गंगा के मैदानी इलाके में रहती है. जहां बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़, दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे राज्य और केंद्र शासित प्रदेश हैं. एक्यूएलआई के अनुसार, भारत के उत्तरी क्षेत्र यानी गंगा के मैदानी इलाके में रह रहे लोगों का जीवन काल करीब 7 वर्ष कम होने की आशंका है, क्योंकि इन इलाकों के वायुमंडल में ‘प्रदूषित सूक्ष्म तत्वों और धूलकणों से होने वाला वायु प्रदूषण’ यानी पार्टिकुलेट पॉल्यूशन विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय दिशानिर्देशों को हासिल करने में विफल रहा है. पार्टिकुलेट मैटर से संबंधित आंकड़े बताते है कि मानव गतिविधियों के कारण वायु प्रदूषण की गंभीर समस्या उत्पन्न हो रही है. शोध अध्ययनों के अनुसार इसका कारण यह है कि वर्ष 1998 से 2016 में गंगा के मैदानी इलाके में वायु प्रदूषण 72 प्रतिशत बढ़ गया.
नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम
वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम की शुरुआत की गयी. कार्यक्रम का लक्ष्य राष्ट्रीय स्तर पर पार्टिकुलेट पॉल्युशन को 20 से 30 फीसदी तक कम करना है, अगर कार्यक्रम अपना लक्ष्य हासिल करने में सफल रहा और प्रदूषण स्तर में कमी हुई, तो एक औसत भारतीय की उम्र 1.3 फीसदी तक बढ़ जायेगी. गंगा के मैदानी इलाकों में रहने वालों लोगों का जीवन काल 2 वर्ष तक बढ़ जायेगा.
झारखंड के जिलों में वायु प्रदूषण के कारण कम हुए जीवन काल के आंकड़ें
जिला डब्लयूएचओ जीवन प्रत्याशा का नुकसान(2016) जीवनकाल का नुकसान (1998)
गोड्डा 10 5.03 2.17
कोडरमा 10 4.94 2.42
साहिबगंज 10 4.86 2.19
बोकारो 10 4.84 2.46
पलामू 10 4.78 2.08
धनबाद 10 4.71 2.21
चतरा 10 4.66 2.01
गिरिडीह 10 4.65 2.23
देवघर 10 4.62 1.87
रामगढ़ 10 4.54 2.28
जामताड़ा 10 4.52 1.87
हजारीबाग 10 4.52 2.13
सरायकेला खरसांवा 10 4.48 2.096
दुमका 10 4.46 1.81
गढ़वा 10 4.41 1.75
पाकुड 10 4.41 2.03
पूर्वी सिंहभूम 10 4.25 1.95
रांची 10 4.13 2.00
खूंटी 10 3.95 1.78
लातेहार 10 3.88 1.65
पश्चिमी सिंहभूम 10 3.75 1.71
लोहरदगा 10 3.58 1.61
सिमडेगा 10 3.45 1.58
गुमला 10 3.40 1.50

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