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वार्ड आरक्षण की ड्राफ्ट प्रति प्रकाशित होते ही पार्षदों में मची खलबली

टिकट पाने की होड़ में हारे हुए नेता भी शामिल, दूसरे दलों से तृणमूल में आये पार्षदों की स्थिति चिंताजनक. 106 वार्डों के लिए दावेदारों की संख्या कई गुना अधिक, टिकट आवंटन तृणमूल के लिए कठिन चुनौती. आसनसोल :नगर निगम में चुनाव को लेकर 17 तारीख को जारी वार्ड आरक्षण की ड्राफ्ट प्रति प्रकाशित होते […]

टिकट पाने की होड़ में हारे हुए नेता भी शामिल, दूसरे दलों से तृणमूल में आये पार्षदों की स्थिति चिंताजनक.

106 वार्डों के लिए दावेदारों की संख्या कई गुना अधिक, टिकट आवंटन तृणमूल के लिए कठिन चुनौती.
आसनसोल :नगर निगम में चुनाव को लेकर 17 तारीख को जारी वार्ड आरक्षण की ड्राफ्ट प्रति प्रकाशित होते ही पार्षदों में टिकट को लेकर खलबली मच गयी है. जिन पार्षदों का वार्ड आरक्षण तालिका में आ गया है वे किसी सुरक्षित जगह पर टिकट पाने या अपनी पत्नी को आरक्षित वार्ड का उम्मीदवार बनाने के लिए कवायद शुरू कर दी है. सोमवार को तृणमूल के जिला अध्यक्ष सह मेयर जितेंद्र तिवारी के नगर निगम कार्यालय और जिला के चेयरमैन वी.
शिवदासन दासू के कार्यालय में पार्षद, बोरो चेयरमैन और मेयर परिषद सदस्यों का जमावड़ा लगा रहा. आरक्षण की तालिका से बाहर के पार्षद यह लेकर चिंतित हैं कि उनके वार्ड में आरक्षण वाले वार्ड के किसी नेता को टिकट न मिल जाए. कुछ पार्षद जो पिछली बार चुनाव हार गए थे वे भी टिकट लेने की होड़ में शामिल हैं.
टिकट न मिलने पर कुछ तृणमूल नेता अन्य पार्टी के टिकट या निर्दल उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं. पिछली बार चुनाव जीतने के बाद तृणमूल में आये नेता अलग ही परेशान हैं. पार्टी के कुछ नेताओं के अनुसार इस बार के चुनाव में टिकट वितरण में पार्टी को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
मंगलवार को नगर निगम मुख्यालय में जिला तृणमूल अध्यक्ष के पास मेयर परिषद सदस्य जलापूर्ति पूर्णशशि रॉय, मेयर परिषद सदस्य मीर हासिम, बोरो चेयरमैन संजय नोनिया, कुल्टी पार्षद अभिजीत आचार्या, पार्षद सुकुल हेंब्रम आदि पहुंचे. किसी भी जनप्रतिनिधि ने खुल कर बोलने से इंकार किया.
लेकिन सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सभी पार्षद अपने-अपने वार्ड में अपना टिकट सुनिश्चित करना चाह रहे हैं. आरक्षण तालिका की ड्राफ्ट प्रति में कइ वार्डों को महिला एवं आरक्षित घोषित किये जाने से उन वार्ड के वर्तमान पार्षद अपनी पत्नी को टिकट दिलाने या खुद को किसी अन्य वार्ड से उम्मीदवार बनने की जोड़-तोड़ में जुट गये हैं.
तृणमूल के हेवीवेट अनेक नेताओं का वार्ड आरक्षण की तालिका में आ जाने से सामान्य स्तर के पार्षद में टिकट को लेकर असुरक्षा की भावना उत्पन्न हो गयी है. रेलपार के एक पार्षद ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्होंने पांच वर्षों तक पार्टी के दिशा-निर्देशों का पालन किया है. काफी मेहनत और अनुशासित रूप से कार्य किया है. उनके साथ गलत हुआ तो वे चुप नहीं बैठेंगे.
पिछले चुनाव में तृणमूल के टिकट से पराजित हुए उम्मीदवार भी इस बार के चुनाव में टिकट पाने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहे हैं. कुछ पार्षदों ने यहां तक कहा कि अगर उन्हें टिकट नहीं दिया गया तो वे निर्दलीय मैदान में उतरेंगे. इन सब के बीच पार्टी आलाकमान के लिए टिकट वितरण करना एक कठिन चुनौती का कार्य होगा.

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