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विदेशों में बसे बंगाली डॉक्टरों ने ममता दीदी को लिखा पत्र, बंगाल में कोविड-19 की कम जांच व आंकड़े में फेरबदल पर जतायी चिंता

विदेशों में रहने वाले बंगाल (West Bengal) के डॉक्टर, मेडिकल रिसर्चर्स व इस पेशे से जुड़ी नामी हस्तियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को खुला पत्र लिखकर कोविड-19 (Covid-19) के मामले के कम जांच करने और जांच के तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है.

कोलकाता : विदेशों में रहने वाले बंगाल (West Bengal) के डॉक्टर, मेडिकल रिसर्चर्स व इस पेशे से जुड़ी नामी हस्तियों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को खुला पत्र लिखकर कोविड-19 (Covid-19) के मामले के कम जांच करने और जांच के तथ्य छुपाने का आरोप लगाया है. भाजपा के महासचिव व प्रदेश भाजपा के केंद्रीय प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय (Kailash Vijayvargiya) ने पत्र को ट्विट कर आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) विदेशों में भारत (India) को बदनाम कर रही हैं.

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श्री विजयवर्गीय ने कहा कि बंगाल के कारण सारी दुनिया में देश (India) की बदनामी हो रही है. बंगाल के लोग दुनिया के कोने-कोने में रहते हैं. इनमें बुद्धिजीवी, डॉक्टर और प्रोफेसर हैं. दुनिया भर में बसे पश्चिम बंगाल (West Bengal) के डाक्टर्स, मेडिकल रिसर्चर्स और इसी पेशे से जुड़ी नामी हस्तियों ने ममता जी को पत्र लिखा है. इन लोगों ने पत्र में कोविड-19 (Covid-19) की सही जांच न होने और आंकड़े छुपाने पर ऊंगली उठायी है. उन्होंने न्यूर्याक टाइम्स की रिपोर्ट का भी हवाला भी दिया है. ममता जी को चाहिए कि थोड़ी शर्म महसूस कर रहे हैं. आपके व्यवहार के कारण पूरे विश्व में देश की बदनामी हो रही है. ममता जी झूठ बोलने से बाज आयें.

दूसरी ओर, मेचिगन विश्वविद्यालय की जन स्वास्थ्य विभाग की प्रोफेसर मौसमी बनर्जी, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रोफेसर शक्ति दास, मेचिगन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर ब्रह्मार मुखर्जी, जॉन हॉपकिंस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर नीलांजन चटर्जी, फ्लोरिडा विश्वविद्यालय के प्रोफेसर मलय घोष सहित अन्य ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) को खुला पत्र लिखकर कोविड-19 (Covid-19) के अपेक्षाकृत कम जांच व जांच के आंकड़े छुपाने की बात कही गयी है.

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पत्र में कहा गया है कि बंगाल में कोविड-19 (Covid-19) मामले के बहुत कम जांच किये जा रहे हैं. यह बहुत ही गंभीर मामला है. इस बाबत 14 अप्रैल को न्यूर्याक टाइम्स में भी रिपोर्ट प्रकाशित हुई है. पत्र में कहा गया है कि कोरोना से पीड़ित लोगों की संख्या का खुलासा सही जांच से ही हो पायेगा. कम जांच से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ने की संभावना है तथा इसके भयंकर परिणाम हो सकते हैं. ऐसा प्रतीत हो रहा है कि कोविड-19 से मुकाबले के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को सही ढंग से तैयार नहीं किया गया है. पत्र में कहा गया है कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) से मुकाबला में आंकड़ों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. इसमें किसी तरह की गड़बड़ी घातक हो सकती है.

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