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हिंसा की शिकार महिलाओं की सखी ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’, पश्चिमी सिंहभूम में दो पीड़िता को दिलाया न्याय

झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में यौन हिंसा, घरेलू हिंसा या आपराधिक घटनाओं की शिकार युवतियों एवं महिलाओं को भटकना नहीं पड़ेगा. जिला के सदर अस्पताल में जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ का संचालन किया जा रहा है, जिसमें उन्हें शरण मिलेगी. यहां अापराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को जिला प्रशासन की ओर से 24 घंटे सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.

चाईबासा (अभिषेक पीयूष) : झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में यौन हिंसा, घरेलू हिंसा या आपराधिक घटनाओं की शिकार युवतियों एवं महिलाओं को भटकना नहीं पड़ेगा. जिला के सदर अस्पताल में जिला समाज कल्याण विभाग की ओर से ‘सखी वन स्टॉप सेंटर’ का संचालन किया जा रहा है, जिसमें उन्हें शरण मिलेगी. यहां आपराधिक हिंसा की शिकार महिलाओं को जिला प्रशासन की ओर से 24 घंटे सहायता उपलब्ध करायी जायेगी.

पीड़ित महिलाओं को चिकित्सा, कानूनी एवं मानसिक सहायता भी मुहैया करायी जायेगी. जिले में संचालित सेंटर में अब तक दो ऑफलाइन मामले आये हैं. इसमें सेंटर ने हस्तक्षेप करते हुए एक युवती और एक महिला को न्याय दिलाया है. सेंटर में घरेलू हिंसा, पति-पत्नी के बीच विवाद, सास-ससुर के द्वारा प्रताड़ना,देवर या ननद के द्वारा अत्याचार के साथ-साथ यौन उत्पीड़न, डायन-बिसाही, अनैतिक अत्याचार, दहेज प्रताड़ना समेत दुष्कर्म पीड़िता की समस्याओं का निष्पादन किया जायेगा.

शेल्टर होम के तौर पर यहां रखी जाने वाली युवतियों एवं महिलाओं के लिए खाने-पीने का भी इंतजाम किया गया है. जिला समाज कल्याण विभाग की डसीपीओ पुनीता तिवारी ने बताया कि झारखंड सरकार की गाइडलाइन के अनुरूप सेंटर में किसी भी पीड़िता को अधिकतम 5 से 6 दिनों तक रहने की सुविधा उपलब्ध करायी जा सकती है. इसी के तहत अभी 6 महिलाओं के एक साथ रहने के लिए बेड आदि की व्यवस्था की गयी है.

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उन्होंने कहा, ‘हमारा प्रयास होता है कि पीड़िता के केस का समायोजन इन 5-6 दिनों में कराकर उसे न्याय दिला दिया जाये. इस दौरान एफआइआर की आवश्यकता हुई तो, पुलिस के सहयोग से आरोपी के खिलाफ मामला भी दर्ज कराया जायेगा. वहीं, मामले का निष्पादन हो जाने पर केस को क्लोज कर दिया जायेगा.

सेंटर के लिए पद नहीं, प्रतिनियुक्ति पर चल रहा कार्य

झारखंड सरकार की ओर से अब तक पश्चिमी सिंहभूम जिले में संचालित सखी वन स्टॉप सेंटर के लिए पद का सृजन नहीं किया गया है. ऐसे में जिला के समाज कल्याण विभाग में विभिन्न पदों पर आसीन व्यक्तियों की ही प्रतिनियुक्ति सेंटर के लिए की गयी है. विभाग की डीसीपीओ ही सेंटर की केंद्र प्रशासक के प्रभार में हैं.

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इसके अलावा एक काउंसलर, एक केस वर्कर, एक पारा लीगल वॉलेंटियर (पीएलवी), डालसा से एक अधिवक्ता व मल्टीपरपस कार्यों के लिए एक अन्य महिला की प्रतिनियुक्ति की गयी है. समाज कल्याण विभाग की ओर से सेंटर में 3 महिला पुलिसकर्मियों की प्रतिनियुक्ति के लिए जिला के पुलिस अधीक्षक से पत्राचार किया गया है.

पीड़िता को न्याय के लिए भटकना नहीं पड़ेगा

पीड़ित महिलाओं को न्याय के लिए पहले कई मुश्किलों का सामना करना पड़ता था. पहले थाने जाकर अपनी व्यथा बतानी पड़ती थी. फिर अस्पताल में चिकित्सीय सुविधा के लिए इधर-उधर भटकना पड़ता था. अपराध दर्ज होने के बाद कोर्ट के चक्कर के साथ वकील की व्यवस्था सहित कई अन्य परेशानियां भी आती थी. अब जिले में वन स्टॉप सेंटर खुल जाने से पीड़ित महिलाओं को न्याय के लिए भटका नहीं पड़ेगा. सेंटर की ओर से उन्हें सारी सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी.

Posted By : Mithilesh Jha

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