26.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

बेगूसराय पहुंचे विदेशी मेहमान, साइबेरियन पक्षियों के 59 प्रजातियों से गुलजार हुआ कावर झील

66.13 वर्ग किमी में फैले इस मीठे पानी के झील को वर्ष 1989 में बिहार के पक्षी विहार का दर्जा मिला था.

बेगूसराय. जिला मुख्यालय से लगभग 22 किलोमीटर उत्तर में स्थित कावर झील में ठंड के मौसम में साइबेरियन पंक्षियों के 59 प्रजाति और 107 देसी प्रजातियों के पक्षी आये हैं. 66.13 वर्ग किमी में फैले इस मीठे पानी के झील को वर्ष 1989 में बिहार के पक्षी विहार का दर्जा मिला था.

कुछ वर्षों से झील का पानी सूख जाने से यहां कम पक्षी आ रहे थे, लेकिन पिछले वर्ष से फिर से प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है. यहां आने वाले पक्षियों की सरकारी स्तर पर गणना नहीं हुई है, लेकिन इनकी संख्या लाखों में बतायी जाती है.

यहां पर देसी प्रजाति के अलावे अफ्रीका, जर्मनी, नीदरलैंड आदि देशों से पक्षी आते हैं. इनमें राजहंस, सारंग, घोंघिल, लालसर, सिखपर, चकवा, खंजन आदि शामिल हैं. 90 के दशक में यहां साइबेरियाई सारस भी आते थे, जो अब कम दिखते हैं.

वैशाली के बरैला झील में साइबेरिया और यूरोप से आते हैं पक्षी हाजीपुर. वैशाली जिले के जंदाहा-पातेपुर अंचल के 479 एकड़ में फैले बरैला झील को सलीम अली जुब्बा सहनी पक्षी आश्रयनी के नाम से जाना जाता है.

ठंड के मौसम में कभी यहां हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी आते थे, लेकिन हाल के वर्षों में इनकी संख्या में कमी आयी है. अक्तूबर के पहले सप्ताह से ही बरैला में साइबेरिया और यूरोप से पक्षी आने लगते हैं. उन पक्षियों को स्थानीय नामों से पहचाना और जाना जाता है.

डुम्मर (नेट्टारूफाइन), खेसराज (कूट), घई (शिखी पोचर्ड), पनगुदरी (वैजूलक), लालसर, दिघौच, मैलठा, क्योट, चकवा, चाही, आदि कई प्रजातियों के पक्षी फरवरी के अंत तक इस झील क्षेत्र में प्रवास करते हैं. मार्च-अप्रैल से इनका लौटना शुरू हो जाता है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें