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बम निरोधक दस्ता के कुशल नेतृत्वकर्ता थे एएसआइ कुरैशी
हजारीबाग : एएसआइ अशरफ कुरैशी पुलिस प्रशिक्षण केंद्र हजारीबाग के बम निरोधक दस्ता के कुशल नेतृत्वकर्ता थे. 1994 में शारीरिक प्रशिक्षक विशेषकर जूडो कराटे के रूप में पीटीसी में सेवा दी. संपूर्ण बिहार व झारखंड के पुलिस जवान, एएसआइ, एसआइ, डीएसपी स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान जूडो कराटे की जानकारी देते थे. पीटीसी […]
हजारीबाग : एएसआइ अशरफ कुरैशी पुलिस प्रशिक्षण केंद्र हजारीबाग के बम निरोधक दस्ता के कुशल नेतृत्वकर्ता थे. 1994 में शारीरिक प्रशिक्षक विशेषकर जूडो कराटे के रूप में पीटीसी में सेवा दी.
संपूर्ण बिहार व झारखंड के पुलिस जवान, एएसआइ, एसआइ, डीएसपी स्तर के अधिकारियों को प्रशिक्षण के दौरान जूडो कराटे की जानकारी देते थे. पीटीसी केंद्र में सभी प्रशिक्षण प्राप्त करनेवाले जवान व अधिकारी उनके व्यवहार, योग्यता व प्रशिक्षण देने के तरीके से प्रभावित होते थे. प्रशिक्षण केंद्र के डीआइजी व एसपी ने अशरफ कुरैशी की योग्यता को देखते हुए उन्हें विशेष प्रशिक्षण विभिन्न क्षेत्रों में देने के लिए सरकार को प्रस्ताव भेजा. इसके बाद अशरफ कुरैशी एनएसजी नेशनल सिक्यूरिटी गार्ड, टीएनएम जबलपुर कॉलेज ऑफ मेटेरियल मैनेजमेंट, बीएसएफ मेरू और नॉर्थ इस्ट एकेडमी असम से कई प्रकार के प्रशिक्षण प्राप्त किये. वर्ष 2007 में बम निरोधक टीम के सक्रिय सदस्य बने. इंस्पेक्टर संजय कुमार राणा के साथ अशरफ कुरैशी लगातार 10 वर्षों तक कुशलता पूर्वक बम निरोधक के काम को अंजाम दिया.
कुरैशी के ईमानदारी के कायल भी थे अधिकारी: अशरफ कुरैशी पीटीसी पुलिस जवान से प्रोन्नति पाकर 2016 में एएसआइ बने. झारखंड सरकार ने प्रोन्नति के बाद उनका स्थानांतरण जमशेदपुर जिला कर दिया. 12 साल तक पीटीसी हजारीबाग में योगदान देने के बाद एएसआइ के रूप में जमशेदपुर के साकची थाना में योगदान दिया. दो माह तक अपने जीवन में थाने की नौकरी करने के बाद वापस पीटीसी आने का इरादा वरीय अधिकारियों को लिखित रूप से दी.
थाना की नौकरी अशरफ को पसंद नहीं आयी: एएसआइ अशरफ कुरैशी ने 15 दिन पहले प्रभात खबर संवाददाता से बातचीत करते हुए थाने की नौकरी से वापस आने की पूरी कहानी सुनायी थी. अशरफ ने बताया था कि पीटीसी में सुबह से शाम तक सादगी में ईमानदारी पूर्वक प्रशिक्षण का काम व सरकारी काम करते है. लेकिन जब थाना साकची में एएसआइ के रूप में पेट्रोलिंग के लिए जवानों को लेकर निकले. शहर में पेट्रोलिंग के दौरान कार्यशैली हमारे जीवन में नहीं उतर पाया. अंदर की अंतरात्मा इस कार्यशैली को करने की इजाजत नहीं दी.
मैंने तत्काल साकची थाना प्रभारी से अपनी पीड़ा बतायी. एक पत्र बना कर वरीय अधिकारियों को दिया कि मुझे किसी भी प्रशिक्षण केंद्र में पदस्थापित किया जाये. इस पर हमारे सहयोगी व कई वरीय अधिकारियों ने कहा कि एएसआइ के रूप में जमशेदपुर आना लोग सौभाग्य की बात मानते है, तुम बेवकूफ हो. वापस प्रशिक्षण केंद्र जाने की बात कर रहे हो. वरीय अधिकारियों से पुन: नम्र निवेदन करने व मेरी योग्यता की जानकारी लेकर मुझे वापस हजारीबाग प्रशिक्षण केंद्र भेज दिया गया. पीटीसी में बम निरोधक दस्ता के इंस्पेक्टर संजय राणा ने घटना के बाद बताया कि एक ईमानदार, होनहार व बम निरोधक के कुशल जंबाज को खो दिया. इतना अनुभवी व्यक्ति के साथ यह घटना एक दुर्भाग्य है.
जहां जिलेटीन को डिफ्यूज करना था, वहीं गड़ा था बम : इंस्पेक्टर संजय राणा
गिरिडीह जिले के सरिया थाना के माल खाना के जिलेटिन जलाना खतरे से बाहर का काम था.लेकिन जहां जिलेटिन जलाने की जगह थाना परिसर में उपलब्ध करायी गयी थी, वहां जमीन के नीचे बम गड़ा हुआ था. यह जानकारी बम निरोधक दस्ता के इंस्पेक्टर संजय राणा ने दी. उन्होंने बताया कि थाना परिसर में माल खाना का जिलेटिन जलाने का जो स्थान उपलब्ध कराया गया था, वह उचित नहीं था. घटनास्थल आकर देखने से पता चल रहा है कि जिलेटिन जलानेवाले स्थल के नीचे जमीन में विस्फोटक दबा हुआ था. जिस जगह यह घटना हुई है, वहां पर एक सिलिंडर बम भी तार के साथ लगा हुआ देख रहा हूं.
यह विस्फोट जिलेटिन जलाने के दौरान जमीन में दबे बम फटने से हो सकता है. जमीन के अंदर जो बम गड़ा हुआ था, इसकी जानकारी बम निरोधक दस्ता की टीम को नहीं दी गयी. गिरिडीह जिले के सरिया थाना के माल खाना में रखे जिलेटिन को जलाने के लिए पीटीसी की टीम सोमवार को यहां आयी थी. टीम में इंस्पेक्टर विजय रंजन, एएसआइ अशरफ कुरैशी, पुलिस जवान मो करीम, प्रेम दीप शामिल थे. सरिया थाना में जिलेटिन जलाने का काम के दौरान जोर का विस्फोट हुआ.
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