चास: सरकारी स्तर पर बिकने वाले एलइडी बल्बों के जल्द खराब होने की शिकायत हमेशा मिलती रहती है. इसमें बिजली विभाग की ओर से बेचे जा रहे एलइडी बल्ब हो या चास नगर निगम द्वारा गली-मुहल्लों व सड़कों पर लगाये जा रहे एलइडी स्ट्रीट लाइट ही क्यों ना हो, सभी अपने वारंटी समय के समाप्त होने से पहले ही खराब हो रहे हैं. एलइडी बल्ब की गुणवत्ता की जांच विभाग की ओर से नहीं की जाती है. एलइडी बल्बों व लाइटों का टेंडर संबंधित विभाग की ओर से एक निजी एजेंसी को दे दिया गया है.
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एलइडी बल्बों की गुणवत्ता की नहीं होती जांच
चास: सरकारी स्तर पर बिकने वाले एलइडी बल्बों के जल्द खराब होने की शिकायत हमेशा मिलती रहती है. इसमें बिजली विभाग की ओर से बेचे जा रहे एलइडी बल्ब हो या चास नगर निगम द्वारा गली-मुहल्लों व सड़कों पर लगाये जा रहे एलइडी स्ट्रीट लाइट ही क्यों ना हो, सभी अपने वारंटी समय के समाप्त […]
इसके बाद विभाग के अधिकारी निश्चिंत हो गये हैं. एजेंसी अच्छा या खराब गुणवत्ता के बल्ब मार्केट में बेच रही है, इसकी जांच विभाग की ओर से नहीं की जाती है. जांच करने के लिये विभाग की ओर से किसी भी अधिकारी या कर्मी की नियुक्ति नहीं की गयी है. विभागों के अधिकारियों का मानना है कि रजिस्टर्ड कंपनी से एलइडी बल्बों की खरीदारी की जाती है, इसलिये भरोसा करना पड़ता है. उल्लेखनीय है कि जिले में भी एलइडी बल्ब का वितरण किया जा रहा है. इसके लिये शहर एवं गांवों में शिविर लगाकर वितरण किया गया. बल्ब की कीमत मार्केट से बहुत कम है और बिजली की खपत भी बहुत कम होती है. इसलिये हर कोई इसे खरीदना चाहता है. यहां जब वितरण शुरू हुआ, तब बल्ब की क्वालिटी ठीक थी, लेकिन जैसे ही इसकी मांग बढ़ी घटिया बल्ब की सप्लाई शुरू हो गयी. अब तो यह बल्ब उपभोक्ताओं के लिये जी का जंजाल बनकर रह गया है.
निगम की ओर से लगायी गयी एलइडी स्ट्रीट लाइट भी आये दिन होती रहती है खराब : चास नगर निगम की ओर से क्षेत्र के सभी वार्डों में व मुख्य सड़क पर स्ट्रीट लाइट लगायी गयी है, लेकिन कुछ दिन या कुछ महीनों के बाद एक-एक कर बल्ब खराब हो गये. अभी भी कई वार्डों में स्ट्रीट लाइट खराब होने की वजह से नहीं जल रहे हैं. एनएच पर लगाये गये स्ट्रीट लाइट भी खराब हुये हैं. हालांकि एजेंसी की ओर से खराब बल्ब की जानकारी मिलने के बाद इसे बदल दिया जा रहा है, लेकिन समस्या फिर कुछ दिनों के बाद खड़ी हो जाती है.
एलइडी बल्ब व लाइट खराब होने के कई कारण हो सकते हैं. एजेंसी को टेंडर दिया जाता है, गुणवत्ता की जांच वही करती है. खरीदारी या टेंडर के लिए एजेंसी सरकारी हो या प्राइवेट, अच्छी कंपनी को ही चुना जाता है.
परितोष कुमार, अधीक्षण अभियंता, चास विद्युत विभाग
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