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झारखंड : एजी की रिपोर्ट में खुलासा, पोड़ाहाट में 24769 हेक्टेयर भूमि पर अतिक्रमण, करीब दो करोड़ पेड़ गायब

II मनोज सिंह II एजी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, करीब दो करोड़ पेड़ गायब रांची : चाईबासा डिवीजन के पोड़ाहाट रेंज में करीब 24769 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण है. करीब दो करोड़ पेड़ गायब हो गये हैं. इसका खुलासा महालेखाकार की जांच रिपोर्ट में हुआ है. इससे करीब 336.87 करोड़ रुपये सरकारी राशि […]

II मनोज सिंह II
एजी की रिपोर्ट में हुआ खुलासा, करीब दो करोड़ पेड़ गायब
रांची : चाईबासा डिवीजन के पोड़ाहाट रेंज में करीब 24769 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण है. करीब दो करोड़ पेड़ गायब हो गये हैं. इसका खुलासा महालेखाकार की जांच रिपोर्ट में हुआ है. इससे करीब 336.87 करोड़ रुपये सरकारी राशि का नुकसान हुआ है. महालेखाकर कार्यालय ने इस रिपोर्ट से वन विभाग को भी अवगत कराया है. वन विभाग के स्थानीय रेंज अधिकारी ने राज्य के वन सचिव व प्रधान मुख्य संरक्षक को पत्र लिखकर इस मामले के दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
महालेखाकार कार्यालय ने पाया है कि पोड़ाहाट रेंज में करीब 26420 हेक्टेयर वन भूमि पर अतिक्रमण था. इसमें से 277 हेक्टेयर पर अतिक्रमण करनेवालों की पहचान वन विभाग ने कर ली है. 26142 हेक्टेयर पर अतिक्रमण करने वालों की पहचान नहीं हुई है.
2002-03 में कराये गये ऑडिट में इस बात का जिक्र किया गया था. चाईबासा डिवीजन ने हाल में जानकारी दी है कि इसमें से करीब 1375 हेक्टेयर वन भूमि 2002-03 से अब तक खाली कराये गये हैं. वर्तमान ऑडिट में इसको आधार मानते हुए करीब 24769 हेक्टेयर अभी भी अतिक्रमित बताया गया है.
आर्थिक आकलन भी किया है ऑडिट टीम ने
ऑडिट टीम ने अवैध अतिक्रमण वाली भूमि पर हुई वनों की क्षति का आर्थिक आकलन भी किया है. सेटेलाइट पिक्चर के आधार पर ऑडिट टीम ने करीब-करीब छह करोड़ पौधे होने का अनुमान लगाया है.
इसमें करीब दो करोड़ पौधे के जीवित होने की स्थिति में होनेवाले नुकसान का आकलन किया गया है. विभागीय रिपोर्ट के आधार पर एक पौधे की कीमत 136 रुपये लगायी गयी है. करीब दो करोड़ 47 लाख पौधे जीवित होने की स्थिति में करीब 336.87 करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया गया है.
कोई ठोस पहल नहीं की गयी
ऑडिट टीम ने लिखा है कि वन भूमि का अतिक्रमण हटाने के लिए डिवीजन या वन विभाग की ओर से कोई ठोस पहल नहीं की गयी है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी पालन नहीं हुआ है. अतिक्रमणकारियों की सही सूची भी जारी नहीं की गयी है. किसी अधिकारी के खिलाफ इस तरह की भूल करने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

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