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कैबिनेट का फैसला : नौ हजार विवि शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ

विवि सेवा आयोग के गठन को मंजूरी पटना : प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कालेजों में नये सिरे से करीब नौ हजार शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में विवि सेवा आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी. आयाेग के […]

विवि सेवा आयोग के गठन को मंजूरी
पटना : प्रदेश के विश्वविद्यालयों और कालेजों में नये सिरे से करीब नौ हजार शिक्षकों की नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई राज्य कैबिनेट की बैठक में विवि सेवा आयोग के गठन को मंजूरी दी गयी.
आयाेग के बन जाने से अब विवि शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से नहीं, बल्कि विवि सेवा आयोग के जरिये होगी. विवि सेवा आयोग में एक अध्यक्ष का पद होगा और अधिकतम छह सदस्य बनाये जायेंगे.
मुख्य सचिव रैंक के रिटायर्ड या कार्यरत अधिकारी या किसी नामचीन शिक्षाविद् को अध्यक्ष बनाया जा सकता है. सदस्य कोई रिटायर्ड प्राचार्य बनाये जायेंगे, जिनके पास लगातार पांच साल का प्राचार्य पद का अनुभव होगा.
आयोग के सचिव पूर्णकालिक होंगे और संयुक्त सचिव रैंक के अधिकारी होंगे. अध्यक्ष और सदस्य का कार्यकाल तीन वर्षों का होगा. अध्यक्ष बनने के लिए अधिकतम उम्रसीमा 72 वर्ष और सचिव के लिए 70 वर्ष होगी.
वर्तमान में बिहार लोक सेवा आयोग असिस्टेंट प्रोफेसरों की नियुक्ति की अनुशंसा कर रहा है.आयोग के गठन होने के बाद असिस्टेंट प्रोफेसर के अलावा प्राचार्यों की नियुक्ति भी इसी के माध्यम से हो सकेगी. गौरतलब है कि पूर्व में भी विवि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए राज्य विवि सेवा आयोग विद्यमान था, लेकिन अनियमितताओं के आरोप के बाद 2006 में इसे भंग कर दिया गया.
पटना : मोटरसाइकिल और ऑटो की प्रदूषण जांच हुई महंगी
पटना : राज्य में अब वाहनों की प्रदूषण जांच महंगी हो गयी है. इसके लिए दोपहिया वाहनों को 50 रुपये की जगह 80 रुपये देने होंगे, जबकि तीन पहिया वाहन को 80 की जगह 100 रुपये देने होंगे. हालांकि, चारपहिया वाहन की प्रदूषण जांच के लिए पहले की तरह 120 रुपये ही देने होंगे.
अब सरकार किसी भी इच्छुक व्यक्ति को 15 हजार के शुल्क पर प्रदूषण जांच केंद्र खोलने की अनुमति देगी. राज्य मंत्रिमंडल की मंगलवार को हुइ बैठक में इसे मंजूरी दी गयी. बैठक के बाद कैबिनेट विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि राज्य में बिहार टैक्सी एग्रीगेटर पॉलिसी लागू की गयी है. इसके तहत बिहार मोटरगाड़ी नियमावली 1992 के नियम 74 में परिवर्तन कर नये शुल्क का निर्धारण किया गया है.
इसमें सॉफ्टवेयर आधारित व्यावसायिक वाहन, जिसमें ओला, उबेर और कैब के अलावा मोटरसाइकिल जैसे सार्वजनिक वाहन को सहजता से उपलब्ध कराना है. इनको पहली बार नियमों के दायरे में लाया गया है. राज्य में ओला जैसी एजेंसियों को दो तरह के शुल्क देने होंगे- पहला परमिट शुल्क व दूसरा लाइसेंस शुल्क.
एक शहर में टैक्सी चलाने के लिए परमिट शुल्क के रूप में 1000 रुपये, जबकि दो शहरों के लिए 1250 रुपये देय होगा. यह शुल्क दोपहिया और चारपहिया वाहनों पर एक समान देय होगा. साथ ही इस तरह की एजेंसियों को मोटरसाइकिल चलाने के लिए तीन साल के लिए 10 हजार रुपये, जबकि टैक्सी के लिए तीन साल के लिए 15 हजार का लाइसेंस शुल्क देना होगा.
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वाहन पहले अब
दोपहिया Rs 50 Rs 80
तीन पहिया Rs 80 Rs 100
चारपहिया Rs 120 Rs 120

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