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पीएचसी परिसर में निजी क्लीनिक

मुजफ्फरपुर: शाम के लगभग सवा पांच बजे औराई पीएचसी में डाक्टर नदारद सामने नर्स जयंति देवी मिलती है. वह आशा कार्यकर्ता से बारामदे में बैठे बात कर रही है. कुछ मरीज और उनके परिजन पीछे वाले कमरे में है वहीं से कुछ आवाजें आ रही हैं. बाकी पीएचसी में सन्नाटा. डॉक्टर के बारे में पूछने […]

मुजफ्फरपुर: शाम के लगभग सवा पांच बजे औराई पीएचसी में डाक्टर नदारद सामने नर्स जयंति देवी मिलती है. वह आशा कार्यकर्ता से बारामदे में बैठे बात कर रही है. कुछ मरीज और उनके परिजन पीछे वाले कमरे में है वहीं से कुछ आवाजें आ रही हैं. बाकी पीएचसी में सन्नाटा. डॉक्टर के बारे में पूछने पर नर्स जयंति देवी कहती है साहब आवास पर हैं. बुलाने पर आ जायेंगे. जब पूछा गया कौन से साहब हैं तो उसने कहा प्रभारी डॉक्टर साहब. रोस्टर के हिसाब से डॉक्टर वाईनारायण को ड्यूटी पर होना चाहिए था.

लेकिन वह ड्यूटी शुरू होने के समय लगभग दो बजे दिन में घर चले गये. तब से पीएचसी में कोई डॉक्टर नहीं है. बातचीत के दौरान ही खुद को फॉर्मासिस्ट बताने वाले विश्वनाथ राय आते हैं. तैस में बोलते हैं. डॉक्टर साहब से क्या काम आप मुझसे बात कीजिए. जब उनसे य़ूटी के बारे में पूछा जाता है तो एक-एक कर पीएचसी की सच्चई बताने लगते हैं. कहते हैं डॉक्टर साहब सरकारी आवास में रहते हैं. जरूरत के हिसाब से बुला लिया जाता है. पीएचसी के सामने ही शैड बना है जिसमें सुरक्षा गार्ड रहते हैं. इन्होंने सोने के लिए पीएचसी के मरीजों के तीन बेड लगा रखे हैं. पूछने पर फॉर्मासिस्ट राय कहते हैं यहां बेडों की तो भरमार हो गयी है. पीएचसी छह बेड का है, लेकिन सरकार ने 20 बेड भेज दिये हैं. अब इन्हें रखने की परेशानी है. जहां तहां पड़े हैं. बातचीत के क्रम में वह बताते हैं. सरकारी योजना आयी थी उसमें आधे रेड पर दवाइयों का काउंटर पीएचसी परिसर में खुलना था. शैड बन गया है, लेकिन अभी दवाखाना नहीं शुरू हुआ है.

बना दिया परचा : पीएचसी से लौटने के क्रम में जब हम परिसर स्थित चिकित्सा प्रभारी के आवास में पहुंचते हैं तो वहां लोगों की भीड़ दिखती है.पूछने पर पता चलता है कि प्रभारी महोदय सरकारी आवास में फीस लेकर मरीजों को देखते हैं. यह भीड़ मरीजों की है जो प्रभारी महोदय को दिखाने आयी है. इसीबीच हमारी मुलाकात डॉक्टर के कंपाउंडर निर्मल से होती है. उसके पास डॉक्टर साहब के पुरजों का अंबार लगा है. वह नाम पूछता है, तुरंत ही एक परचा मेरे नाम का बना देता है कहता है एक सौ रुपये जमा कीजिए. तभी डॉक्टर साहब देखेंगे. यह पूछने पर कि नंबर कब आयेगा. निर्मल कहता है पहले से ही काफी भीड़ है आप तो अभी आये हैं बैठना होगा. यह कहते हुए कुरसी आगे बढ़ा देता है और बैठने का इशारा करता है. आवास पर भी मरीज को देखते हैं. यहां वह क्लिनिक चलाते हैं. इसका कोई बोर्ड लगा हुआ नहीं है. मरीज को देखते हैं, लेकिन पैसे नहीं लेते हैं.

डा. आरएन शर्मा, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी (पीएचसी औराई)

Prabhat Khabar Digital Desk
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