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हे प्रभु! रफीगंज-कजरी रेलवे लाइन भी बना दो

चिंता : आठ वर्ष बाद भी नहीं बिछी लाइन, वर्ष 2008 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने रखी थी आधारशिला रफीगंज से कजरी रेलवे लाइन का निर्माण आठ साल से अधर में है. अधूरे कार्यों को पूरा कर रहे रेल मंत्री सुरेश प्रभु से लोगों की गुहार है कि इस योजना को पूरा करें, […]

चिंता : आठ वर्ष बाद भी नहीं बिछी लाइन, वर्ष 2008 में तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद ने रखी थी आधारशिला
रफीगंज से कजरी रेलवे लाइन का निर्माण आठ साल से अधर में है. अधूरे कार्यों को पूरा कर रहे रेल मंत्री सुरेश प्रभु से लोगों की गुहार है कि इस योजना को पूरा करें, ताकि रेलवे को राजस्व मिले और लोगों को यातायात की सुविधा.
नौडीहा (पलामू) : बिहार के रफीगंज से पलामू के नौडीहा होते हुए कजरी तक रेलवे लाइन बिछाने का काम आठ वर्ष बाद शुरू भी नहीं हो सका है. इस रेल परियोजना की आधारशिला तत्कालीन रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने वर्ष 2008 में रखी थी.
यह रेलवे लाइन बिछे इसके लिए तत्कालीन सांसद घुरन राम ने भी सक्रियता दिखायी थी. उस समय यह तय था कि 2014 तक इस रेलवे लाइन का निर्माण का कार्य पूरा कर लिया जायेगा. सर्वे का काम भी हुआ. तब लोगों में उम्मीद जगी थी कि कार्य भी होगा. लेकिन आज तक काम शुरू भी नहीं हो सका.
पलामू-गया की दूरी होती कम
यदि इस रेलवे लाइन का काम पूरा हो जाता तो पलामू से गया की दूरी कम हो जाती. वर्तमान में मेदिनीनगर से जिन्हें गया जाना होता है, वह 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हैं. गया जाने के लिए पहले डेहरी जाना होता है. उसके बाद फिर डेहरी से गया. रफीगंज से कजरी तक रेलवे लाइन का काम पूरा हो जाता तो यहां से सीधे गया जाया जा सकता था. इसकी दूरी लगभग 126 किलोमीटर ही होती है. साथ ही नौडीहा, तेलाडी, छतरपुर में रेलवे का विकास होता, इससे पटना की भी दूरी कम होती. व्यवसायियों को भी लाभ होता
राजनीतिक उदासीनता रफीगंज-कजरी रेलवे लाइन संघर्ष समिति के अध्यक्ष बसंत चंद्रवंशी ने कहा कि काम पूरा होने से नौडीहा का विकास होता. पलामू सहित पूरे झारखंड को लाभ होता. योजना को मंजूरी भी मिली थी, पर 2008 के बाद अपेक्षित ध्यान नहीं दिया गया.
क्या थी योजना
रेलवे लाइन बिहार के रफीगंज से होते हुए पलामू के नौडीहा, छतरपुर, तेलाडी मोड, कजरी मोड तक आना था. जो सर्वे हुआ था, उसके मुताबिक नौडीहाबाजार में स्टेशन बनना था. रेलवे लाइन के लिए स्थान भी चिह्नित की गयी थी. सर्वे के बाद रेलवे ने पोल भी गाड़ा था. इसके तहत 26 स्टेशन बनाने का प्रस्ताव था, जिसमें नौडीहाबाजार के अलावा छतरपुर, तेलाडी मोड भी शामिल थे. बताया जाता है कि यह योजना उस समय 448 करोड़ की थी.
क्या कहते हैं लोग
व्यवसायी प्रमोद कुमार सिंह ने कहा कि रेलवे लाइन का निर्माण कार्य पूरा होने से व्यवसायियों को लाभ होता . गया-पटना से व्यवसायी अपना समान आसानी से ला सकते थे. समय व किराया दोनों की बचत होती. वहीं आमलोगों को भी काफी सुविधा होती. सामाजिक कार्यकर्ता अनुज सिंह ने कहा कि सरकार को इस पर जल्द निर्णय लेना चाहिए. काम शुरू हो, इसके लिए सामूहिक प्रयास करने की जरूरत है. जो जनप्रतिनिधि हैं, वे इसे गंभीरता से लें.

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