27.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

बने राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति : नीतीश

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण की बैठक हुई, जिसमें गंगा सफाई की विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा हुई. बैठक में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, उत्तराखंड के […]

नयी दिल्ली. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गुरुवार को राष्ट्रीय गंगा नदी प्राधिकरण की बैठक हुई, जिसमें गंगा सफाई की विस्तृत कार्ययोजना पर चर्चा हुई. बैठक में केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती, ऊर्जा मंत्री पीयूष गोयल और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावडेकर के अलावा बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हरीश रावत और पश्चिम बंगाल व उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधि शामिल हुए.

इसमें राज्यों ने गंगा सफाई को लेकर आनेवाली परेशानियों का भी जिक्र किया गया. नीतीश कुमार ने कहा कि केंद्र नमामि गंगे कार्यक्रम के तहत गंगा नदी की निर्मलता और अविरलता की प्राथमिकता दी गयी है.

लेकिन, अब तक की अधिकतर योजनाएं गंगा में निर्मलता सुनिश्चित करने के लिए ही ली गयी है. गंगा की अविरलता पर समुचित ध्यान दिये जाने की आवश्यकता है. बिहार सरकार की ओर से पिछले कई वर्षो से राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाने का मुद्दा उठाया जाता रहा है. लेकिन, अब तक इस पर खास ध्यान नहीं दिया गया है. इसी तरह से फरक्का बैराज के निर्माण से गंगा की मॉफरेलॉजी में बदलाव और अप स्ट्रीम में गाद जमा होने के कारण भी उत्तर बिहार में बाढ़ की प्रबलता बढ़ी है, इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर एक प्रभावकारी राष्ट्रीय गाद प्रबंधन नीति बनाना आवश्यक है. जो न केवल गंगा, बल्कि अन्य सभी नदियों के गाद प्रबंधन में सहायक होगी और नदी की अविरलता को बनाये रखेगी. मुख्यमंत्री ने गंगा की निर्मलता सुनिश्चित करने को लेकर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट और सीवरेज नेटवर्क का विकास के लिए सहायता देने की बात कही.

साथ ही इसके लेकर जागरूकता अभियान पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि इस दिशा में बिहार में अगस्त, 2014 में गंगा कार्ययोजना तैयार कर केंद्र सरकार को दिया गया. साथ ही गंगा कार्ययोजना वाले जिलों में सघन जागरूकता अभियान शुरू किया गया. मध्यम कार्ययोजना के तहत गंगा के तट पर स्थित सभी पंचायतों को खुले में शौचमुक्त कराया जाना भी शामिल है. ऐसे पंचायतों मे एपीएल और बीपीएल की श्रेणियों को खत्म किये जाने की जरूरत है.

केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने कहा कि गंगा का सिर्फ धार्मिक पहलू ही नहीं है, बल्कि इसका आर्थिक पक्ष भी महत्वपूर्ण है. देश की दो तिहाई से अधिक आबादी की आजीविका गंगा पर निर्भर है. उन्होंने कहा कि कुछ राज्यों को गंगा स्वच्छता अभियान के क्रियान्वयन के आर्थिक पक्ष को लेकर चिंता है और केंद्र सरकार इसे दूर करने का हर संभव प्रयास करेगी. गंगा को लेकर आइआइटी के विशेषज्ञों की पूर्ण रिपोर्ट मिलने के बाद सरकार इसका अध्ययन कर उचित कदम उठायेगी.
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने गंगा बेसिन के पांच राज्यों के तहत आनेवाले 118 स्थानीय निकाय और 678 औद्योगिक इकाइयों को कुछ दिन पहले ही 15 दिनों के अंदर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने के लिए कार्ययोजना सौंपने को कहा है. मौजूदा समय में गंगा के पास बसे 118 शहर 3336 मिलियन लीटर कचरा गंगा में प्रवाहित करते हैं और इसमें से केवल 1027 मिलियन लीटर की ही सफाई हो पाती है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को फटकार लगाने के बाद राज्यों को तत्काल सफाई को लेकर कार्ययोजना सौंपने को कहा गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें