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जलवायु समझौता पर ओबामा: ”कुछ हिस्‍सों का पालन बाध्‍यकारी हो”

ली बुर्जे (फ्रांस) : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि पेरिस में ग्लोबल वार्मिंग संबंधी जिस समझौते पर वार्ता हो रही है, उसके कुछ हिस्सों का पालन इस पर हस्ताक्षर करने वालों के लिए कानूनी रुप से बाध्यकारी होना चाहिए. हालांकि इसके कारण ओबामा को अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के विरोध […]

ली बुर्जे (फ्रांस) : अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि पेरिस में ग्लोबल वार्मिंग संबंधी जिस समझौते पर वार्ता हो रही है, उसके कुछ हिस्सों का पालन इस पर हस्ताक्षर करने वालों के लिए कानूनी रुप से बाध्यकारी होना चाहिए. हालांकि इसके कारण ओबामा को अमेरिका में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों के विरोध का सामना करना पड सकता है.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में ओबामा के इस रख को कल उन देशों से प्रशंसा मिली थी जो कोयला, तेल और गैस जलाने से हो रहे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने के लिए मजबूत समझौता चाहते हैं. लेकिन इससे वाशिंगटन में रिपब्लिकन पार्टी के सदस्यों की त्यौरियां चढ सकती है, खासकर तब ऐसा हो सकता है, यदि ओबामा कांग्रेस की मंजूरी हासिल किए बिना समझौता लागू करने की कोशिश करते हैं.

ओबामा प्रशासन ने अंतरराष्ट्रीय वार्ताओं के दौरान अमेरिकी उत्सर्जन को 2025 तक 28 प्रतिशत तक कम करने का संकल्प लिया है लेकिन पेरिस समझौते में उत्सर्जन संबंधी लक्ष्य को अंकित करने के लिए ओबामा को इस समझौते को संभवत: कांग्रेस में पेश करने की आवश्यकता होगी जहां इसे मंजूरी मिलने की संभावना नहीं है. रिपब्लिकन पार्टी के कई नेताओं को ग्लोबल वार्मिंग की वास्तविकता पर संदेह है या उन्हें इस बात का डर है कि कडे प्रदूषण नियंत्रणों से नौकरियां कम हो सकती हैं.

प्रशासन लक्ष्यों को इन बाध्यकारी प्रक्रियाओं से बाहर रखने की कोशिश कर रहा है कि देशों को कब और कैसे समय समय पर अपने लक्ष्यों की समीक्षा करनी चाहिए और अपने लक्ष्यों को उंचा उठाना चाहिए. ओबामा ने पेरिस में कहा, ‘समझौतों में लक्ष्य निर्धारित करना अहम कारक नहीं होगा, लेकिन पारदर्शिता और समय समय पर समीक्षा सुनिश्चित करने वाली प्रक्रियाएं कानूनी रुप से बाध्यकारी होनी चाहिए और यह महत्वपूर्ण होगा.’

सीनेट पर्यावरण एवं लोक निर्माण समिति के अध्यक्ष एवं ओबामा की नीतियों के कडे आलोचक सेन जिम इनहोफे ने तत्काल राष्ट्रपति पर निशाना साधा. इनहोफे ने कहा, ‘अमेरिकी सीनेट को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा. यदि राष्ट्रपति चाहते हैं कि अमेरिका कानूनी रुप से बाध्यकारी समझौते पर हस्ताक्षर करे तो इस समझौते को सीनेट से होकर गुजरना होगा.’ इससे पहले व्हाइट हाउस ने भी कहा था कि समझौते के कुछ हिस्से कानूनी रुप से बाध्यकारी होने चाहिए लेकिन ओबामा ने स्वयं पहली बार ऐसा कहा है.

ओबामा के बयान से सम्मेलन के फ्रांसीसी मेजबानों को राहत मिली है जो इस बात को लेकर चिंतित थे कि अमेरिका बाध्यकारी समझौता चाहता है या नहीं. दरअसल अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन केरी ने ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ से कहा था कि यह समझौता ‘निश्चित ही संधि नहीं बनेगा’ और ‘उत्सर्जन कम करने के लिए लक्ष्य कानूनी रुप से बाध्यकारी नहीं होंगे.’

फ्रांस की पर्यावरण मंत्री सेगोलेन रॉयल ने कहा, ‘यह तथ्य कि अमेरिका एक बाध्यकारी समझौते के प्रति प्रतिबद्धता जता सकता है, एक बेहतरीन समाचार है जो सही समय पर मिला है जबकि पहले कांग्रेस के कारण इस बात को लेकर आशंका थी.’ सीनेट में बहुमत के नेता मिच मैक्कोनल और रिपब्लिकन पार्टी के अन्य शीर्ष नेताओं ने अन्य देशों को सचेत किया है कि वे ओबामा की ओर से किए जाने वाले किसी भी समझौते पर विश्वास नहीं करें.

सदन ने परमाणु संयंत्रों से कार्बन उत्सर्जन कम करने संबंधी ओबामा के नियमों को अस्वीकृत करते हुए कल दो प्रस्ताव पारित किए. सदन के अध्यक्ष पॉल रयान से संवाददाता सम्मेलन में पूछा गया कि क्या कांग्रेस जलवायु परिवर्तन पर आम लोगों से भिन्न मत रखती है. रयान ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि हम उन लोगों से अलग मत रखते हैं जो नौकरियां चाहते हैं, आर्थिक विकास चाहते हैं और जो लागत और लाभ का मूल्यांकन कर रहे हैं.’

उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि आप जब तथाकथित कानूनी रुप से बाध्यकारी प्रतिबद्धताओं के मद्देनजर लागत और लाभ का मूल्यांकन करते हैं तो ये उचित साबित नहीं होती। मुझे लगता है कि यह बहुत स्पष्ट है कि लोग नौकरियां चाहते हैं.’ यूरोपीय संघ ने पेरिस वार्ताओं में उत्सर्जन लक्ष्यों के साथ कानूनी रुप से बाध्यकारी एक समाझौता किए जाने की अपील की है लेकिन पर्यवेक्षकों का मानना है कि वार्ता के आगामी दो सप्ताह में इस मांग से पीछे हटा जा सकता है ताकि यह सुनिश्चित किए जा सके कि अमेरिका इस समझौते में शामिल हो.

ओबामा ने प्रशांत, मध्य अमेरिका और अफ्रीका में जलवायु संबंधी क्षति के लिए बीमा उपलब्ध कराने में मदद करने के मकसद से तीन करोड डॉलर की अमेरिकी मदद की कल घोषणा की थी.

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