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पाक में लोकतंत्र के लिए कुछ खास उपयोगी नहीं होगी शरीफ की अमेरिका यात्रा

वाशिंगटन : पाकिस्तान में सैन्य-असैन्य संतुलन के अभाव में लोकतंत्र पर लगातार खतरा बढ रहा है और देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका की यात्रा उस देश में लोकतंत्र के लिए कुछ खास उपयोगी साबित नहीं होगी. यह बात एक प्रतिष्ठित अमेरिकी विशेषज्ञ ने की है. एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक वुड्रॉ विल्सन इंटरनेशनल […]

वाशिंगटन : पाकिस्तान में सैन्य-असैन्य संतुलन के अभाव में लोकतंत्र पर लगातार खतरा बढ रहा है और देश के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की अमेरिका की यात्रा उस देश में लोकतंत्र के लिए कुछ खास उपयोगी साबित नहीं होगी. यह बात एक प्रतिष्ठित अमेरिकी विशेषज्ञ ने की है. एक शीर्ष अमेरिकी थिंक टैंक वुड्रॉ विल्सन इंटरनेशनल सेंटर फोर स्कॉलर्स के माइकल कुगेलमैन ने कहा कि शरीफ की चार दिवसीय यात्रा के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ उनकी बैठक में मुख्य रूप से सुरक्षा मामलों पर बात की जाएगी. यह यात्रा संभवत: केवल उस पाकिस्तानी सेना को और मजबूत करने में मदद करेगी जिसने सत्ता पर अपनी पकड मजबूत कर ली है.

कुगेलमैन ने ‘फोरेन पॉलिसी’ पत्रिका में छपे एक लेख में लिखा, ‘अधिकतर आधिकारिक यात्राओं की तरह अमेरिका और पाकिस्तान की भागीदारी वाली इस सप्ताह की यात्रा भी सुरक्षा के बारे में ही होगी. इसका मतलब हुआ कि अधिक भागीदारी बढाना और पाकिस्तानी सेना को और मजबूत करना.’ दक्षिण एशियाई विशेषज्ञ ने कहा, ‘लोकतंत्र को मजबूत करने के अपने तमाम प्रयासों के बावजूद अमेरिकी नीति ऐसा करके यह सुनिश्चित करने में ही मदद करती है कि पाकिस्तान में एक ऐसी आवश्यक संस्था बनी रहे, जिसके पास अनियंत्रित शक्ति हो.’ कुगेलमैन ने कहा कि पाकिस्तान में लोकतंत्र मजबूत करने की दिशा में शरीफ की वाशिंगटन यात्रा कुछ खास उपयोगी साबित नहीं होगी.

उन्होंने कहा कि अंत में जब वाशिंगटन को पाकिस्तान में अपने प्रमुख हितों को साधने के लिए कुछ करवाने की आवश्यकता होती है तो यह मान लिया जाता है कि यह जनरलों के माध्यम से ही संभव हो सकता है, न कि नागरिकों के. कुगेलमैन ने लिखा, ‘यह विडम्बना है और गुमराह करने वाली बात है. जनरल आतंकवादियों को प्रायोजित कर इलाके में अमेरिकी हितों को खतरा पहुंचाते हैं लेकिन इसके बावजूद यह अमेरिका और पाकिस्तान के बीच संबंधों की हकीकत है.’ अमेरिकी विशेषज्ञ ने कहा, ‘इसीलिए हमें शरीफ के साथ ओबामा की बैठक से किसी मजबूत परिणाम के निकलने की उम्मीद नहीं करनी चाहिए.

आतंकवाद से निपटने के मामले में सहयोग, परमाणु सुरक्षा और तालिबान के साथ अफगानिस्तान की शांति प्रक्रिया ऐसे महत्वपूर्ण मामले हैं जिन पर प्रधानमंत्री नहीं बल्कि सेना का आधिपत्य है और इस संबंध में वही अंतिम निर्णय लेती है. शरीफ कल व्हाइट हाउस में ओबामा के साथ बैठक में भाग लेंगे. इसके अलावा वह विदेश मंत्री जॉन केरी और प्रशासन के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे.

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