बीजिंग: प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भारत और चीन के बीच घनिष्ठ सहयोग के लिए सात सूत्री आपसी संवाद रिपीट आपसी संवाद सिद्धांतों का जिक्र करते हुए आज कहा कि दोनों देशों को एक दूसरे के हितों और संप्रभुता के प्रति संवेदनशीलता दिखानी चाहिए तथा सीमा संबंधी मसलों को सुलझाने के लिए जल्द कदम उठाने चाहिए.
सिंह ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के सेंट्रल पार्टी स्कूल में भविष्य के नेताओं को संबोधित करते हुए कहा कि गठबंधन और नियंत्रण के पुराने सिद्धांत अब प्रासंगिक नहीं रह गए हैं. उन्होंने कहा, ‘‘ भारत और चीन को रोका नहीं जा सकता और हमारा हाल का इतिहास इसका गवाह है तथा न ही हमें दूसरों को रोकने के बारे में सोचना चाहिए.’’
आपसी संवाद के सात व्यावहारिक सिद्धांतों के बारे में मनमोहन सिंह ने कहा कि दोनों देशों को सीमा पारीय नदियों और व्यापार असंतुलन जैसे पेचीदा विषयों पर विचार विमर्श और सहयोग को बढ़ाना चाहिए ताकि रणनीतिक और सहकारिता साङोदारी को मजबूत किया जा सके. सिंह ने कहा, ‘‘ इसके साथ ही हमें अपने क्षेत्र और अपनी परिधि के संबंध में पारदर्शिता की भावना के साथ , दोनों देशों के बीच गलतफहमियों को खत्म करने और सकारात्मक सहयोग के अनुभव का निर्माण करना चाहिए.’’
उन्होंने कहा, ‘‘ एशिया के दो बड़े देश होने के नाते, हमारे बीच रणनीतिक विचार विमर्श और सहयोग से हमारे क्षेत्र में और उसके बाहर भी शांति , स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ावा मिलेगा.’’ सिंह ने अपने भाषण में यह भी कहा कि व्यापक वैश्विक मुद्दों पर दोनों देशों के बीच आपसी समझ का विस्तार क्षेत्रीय और बहुपक्षीय मंचों पर राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा क्षेत्रों में नीति समन्वय के रुप में होना चाहिए.