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रुस ने किया द्वितीय विश्व युद्ध ”विजय दिवस” की परेड पर अपनी सैन्य ताकत का प्रदर्शन

मॉस्को : रुस ने नाजी जर्मनी पर अपनी जीत की 70 वीं वर्षगांठ पर आज यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में भव्य सैन्य परेड किया लेकिन पश्चिमी शक्तियों ने यूक्रेन को लेकर चल रहे गतिरोध की वजह से उसका बहिष्कार किया. यहां ऐतिहासिक रेड स्क्वायर पर करीब 10 हजार सैनिकों […]

मॉस्को : रुस ने नाजी जर्मनी पर अपनी जीत की 70 वीं वर्षगांठ पर आज यहां राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी समेत कई वैश्विक नेताओं की उपस्थिति में भव्य सैन्य परेड किया लेकिन पश्चिमी शक्तियों ने यूक्रेन को लेकर चल रहे गतिरोध की वजह से उसका बहिष्कार किया.
यहां ऐतिहासिक रेड स्क्वायर पर करीब 10 हजार सैनिकों ने परेड में हिस्सा लिया जिनमें भारतीय सेना और चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की टुकडी भी थी. परेड डेढ घंटे से भी अधिक देर तक चली.
रुसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन ने मुखर्जी, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून के साथ इस परेड का निरीक्षण किया. पश्चिम शक्तियों जैसे अमेरिका, द्वितीय विश्व युद्ध में रुस के सहयोगी रहे ब्रिटेन और फ्रांस ने यूक्रेन के मामले में क्रेमलिन के हस्तक्षेप को लेकर इस कार्यक्रम का बहिष्कार किया.
रेड स्क्वायर पर परेड में अगली पीढी के अर्माटा टी- 14 टैंक और उन्नत सैन्य विमान और अत्याधुनिक हथियार प्रदर्शित किए गए. उल्लेखनीय है कि द्वितीय विश्व युद्ध में करीब 2.7 करोड रुसी सैनिक एवं नागरिक मारे गए थे. रेड आर्मी की जीत रुस के लिए बहुत बडा राष्ट्रीय गर्व रही है.
नौ मई, जो विजय दिवस के रुप में मनाया जाता है, सभी क्षेत्रों के रुसियों को एकजुट करता है चाहे उनका राजनीतिक रुझान जो भी हो. इस अवसर पर रेड स्क्वायर पर बडी संख्या में लोग जुटते हैं जिनमें युद्ध में शामिल हो चुके लोग, शहीद हुए सैनिकों विधवाएं और परिवार के सदस्य भी शामिल होते हैं.
इस कार्यक्रम में जो अन्य राष्ट्रपति शरीक हुए उनमें मिस्र के अब्दुल फतह अल सीसी, क्यूबा के राउल कास्त्रो, वेनेजुएला के निकोलस मदुरो, जिम्बाव्बे के राबर्ट मुगाबे और दक्षिण अफ्रीका के जैकब जुमा शामिल हैं.
यह 70 वां वर्षगांठ समारोह दस साल पहले के उस समारोह से बिल्कुल भिन्न था जब पुतिन ने अमेरिका, फ्रांस, जर्मनी, इटली और जापान के नेताओं की मेजबानी की थी. आज की परेड यूक्रेन संकट के जारी रहने के बीच हुई. पश्चिम देशों ने रुस द्वारा क्रीमिया पर कब्जा किए जाने और पूर्वी यूक्रेन में अलगाववादियों का कथित रुप से समर्थन किए जाने को लेकर मास्को पर प्रतिबंध लगा रखा है. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा तथा ब्रिटेन एवं फ्रांस के नेताओं ने भी आज के समारोह की अनदेखी की.

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