वाशिंगटन : हाशिए पर जा चुके खालिस्तान समर्थक एक समूह के अमेरिकी सांसदों तक एक फिर से पहुंच बना लेने से भारत के लिए चिंता खड़ी हो गयी है.
पिछले सप्ताह दो दर्जन से अधिक सांसदों ने पहली बार सिख अमेरिकन कांग्रेस कॉकस गठित करने का ऐलान किया. इस मौके पर कई ऐसे लोग और संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे, जो कभी खालिस्तान के समर्थक हुआ करते थे.
कैलीफोर्निया स्थित नॉर्थ अमेरिका पंजाबी एसोसिएशन (नापा) के प्रमुख दलविंदर सिंह धूत ने कहा, सिख कांग्रेसनल कॉकस में जो सिख मौजूद थे, वे खालिस्तान समर्थक विचारधारा के हैं. इस समारोह में नापा सहित कई प्रमुख सिख अमेरिकी संगठनों को न्यौता नहीं दिया गया था. यह समारोह बीते 24 अप्रैल को कैपिटल हिल में आयोजित किया हुआ था. इसमें भारतीय दूतावास का कोई प्रतिनिधि भी नहीं था.
सिख संगठन नापा के प्रवक्ता सतनाम सिंह चहल ने कहा, इस सिख कांग्रेसनल कॉकस के बारे में हमें कोई जानकारी नहीं है और न ही हमें इसमें आमंत्रित किया गया था. उन्होंने कहा कि ऐसा लगता है कि ऐसा लगता है कि इसके गठन में 28 अमेरिकी सांसद शामिल हैं.
चहल से पूछा गया कि क्या इस खालिस्तान समर्थक समूह ने कांग्रेस सदस्यों को धोखा दिया है तो उन्होंने कहा, हां. यह एक बड़ा रहस्य है कि सिख समुदाय के बहुसंख्यक लोगों को इस समारोह से बाहर क्यों रखा गया. सिख अमेरिकन कांग्रेसनल कॉकस की सह-अध्यक्षता डेमोक्रेटिक पार्टी से जूडी चू और रिपब्लिकन पार्टी से डेविड वालादाओ कर रहे हैं.
जूडी चू ने कहा कि यह समूह मुख्य रुप से घृणा अपराध और कुछ दूसरे स्थानीय मुद्दों पर ध्यसन देगा तो सिखों से संबंधित हैं. उन्होंने कहा कि इस मंच का इस्तेमाल 1984 के सिख विरोधी दंगों जैसे विदेशी मुद्दों के लिए नहीं किया जाएगा.