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इराक में हिंसा के बीच चुनाव, मलिकी तीसरे कार्यकाल के लिए मैदान में

बगदाद : हालिया वर्षों की सबसे भीषण हिंसा के बीच इराक में आज राष्ट्रीय स्तर पर इराकी लोग मतदान के लिए घरों से बाहर निकले. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पहली बार हो रहे राष्ट्रीय चुनाव में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड रहे हैं. मतदाताओं के पास खराब लोक […]

बगदाद : हालिया वर्षों की सबसे भीषण हिंसा के बीच इराक में आज राष्ट्रीय स्तर पर इराकी लोग मतदान के लिए घरों से बाहर निकले. अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद पहली बार हो रहे राष्ट्रीय चुनाव में प्रधानमंत्री नूरी अल मलिकी तीसरे कार्यकाल के लिए चुनाव लड रहे हैं.

मतदाताओं के पास खराब लोक सेवाओं से लेकर व्यापक पैमाने पर फैले भ्रष्टाचार जैसी शिकायतों की लंबी फेहरिस्त है लेकिन महीने भर चले चुनाव प्रचार में मलिकी को तीसरे कार्यकाल के लिए जिताने तथा हालिया महीनों में सुरक्षा की स्थिति में भारी नाटकीय गिरावट पर ध्यान केंद्रित किया गया.

देश के 2 करोड से अधिक मतदाता आज संसद की 328 सीटों के लिए चुनाव मैदान में उतरे नौ हजार उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला करेंगे. चुनाव से पूर्व देश की राजधानी बगदाद और अन्य प्रमुख शहरों को उम्मीदवारों के समर्थन में पोस्टरों से पाट दिया गया था.राजनीतिक दलों ने रैलियों का आयोजन किया और भावी सांसदों ने टेलीविजन पर गर्मागर्म बहस में हिस्सा लिया. हालांकि राजनीतिक दलों के उम्मीदवार मतदाताओं से मुद्दों के बजाय धार्मिक, जातीय या कबीलाई आधार पर वोट मांगते नजर आए.

हालिया दिनों में मतदान केंद्रों तथा चुनावी रैलियों पर हमलों के मद्देनजर ऐसी आशंकाएं पैदा हो रही थीं कि अधिकतर मतदाता मतदान के दिन खुद को निशाना बनने देने के बजाय घरों में ही रहना पसंद करेंगे. मतदान से दो दिन पूर्व 80 से अधिक लोग गोलीबारी और बम विस्फोटों की घटनाओं में मारे गए. अधिकतर हमले बगदाद और अशांत उत्तरी तथा पश्चिमी हिस्सों में केंद्रित थे. लेकिन अधिकतर इराकियों ने कहा कि वे कोई परवाह किए बिना मतदान करने जाएंगे.

मलिकी के दो बार के कार्यकाल का जिक्र करते हुए पेशे से वास्तुशिल्पी 40 वर्षीय अहमद आदिल ने कहा, मैं मतदान करने जाऊंगा मौजूदा हालात तथा मौजूदा चेहरों में बदलाव का हिस्सा बनने के लिए उस सरकार को बदलने के लिए जिसके आठ साल के शासनकाल में अर्थव्यवस्था और सुरक्षा के मोर्चे पर विफलता मिली और जिसका बजट अरबों डालर में पहुंच गया.

वह कहते हैं, हमें मतदान अवश्य करना चाहिए , चाहे हालात कुछ भी क्यों न हों. जो भी मतदान करने नहीं जा रहा है वह अपने अधिकार तथा दूसरों के अधिकारों को गंवा रहा है. वर्ष 2006 और 2007 में नृशंस जातीय संघर्षों में हजारों लोग मारे गए थे और उस दौर से निकलने के बाद इस महीने सबसे भीषण हिंसा हुई जिसमें 750 से अधिक लोग मारे गये.

इस वर्ष के शुरुआत से ही उग्रवादियों ने पश्चिमी बगदाद के फलुजा शहर को अपने कब्जे में ले लिया था. यह वही शहर है जहां अमेरिकी अगुवाई वाले बलों के खिलाफ आतंकवाद के दौरान में सबसे बडे संघर्ष हुए थे. अनबार प्रांत के कई अशांत हिस्सों में मतदान नहीं होगा. फालुजा इसी प्रांत के तहत आता है.

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