नयी दिल्ली : मारीशस से भारत में होने वाला प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) अप्रैल से जनवरी 2013-14 के दौरान लगभग आधा यानी 4.11 अरब डालर रह गया। ऐसा सामान्य कर परिवर्जन नियम (गार) के असर की आशंका और कर परिवर्जन संधि पर पुनर्वार्ता की संभावना के मद्देनजर हुआ. औद्योगिकी नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के आंकडों के मुताबिक भारत ने अप्रैल-जनवरी 2013-14 के दौरान 8.17 अरब डालर का एफडीआई हासिल किया था.
कंपनी कानून से संबंधित फर्म अमरचंद एंड मंगलदास के कर प्रमुख एवं एफडीआई विशेषज्ञ कृष्ण मल्होत्रा ने कहा, ‘‘निवेशकों आशंका है कि गार के लागू होने के बाद उन्हें मिलने वाली कर सुविधा समाप्त हो जाएगी. आशंका यह भी है कि डीटीएए पर पुनर्वार्ता से मारीशस के निवेशकों को मिलने वाली कर संबंधी सुविधा खत्म हो सकती है.’’ भारत का विवादास्पद गार प्रावधान 1 अप्रैल, 2016 से लागू होगा जिसके तहत निवेशकों द्वारा करचोरी की पनाहगाहों के जरिये होने वाले निवेश के मामले में कर परिवर्जन की जांच की जाएगी.
गार के प्रावधान उन इकाइयों पर लागू होंगे जिन्हें कम से कम तीन करोड रुपये की कर-लाभ का फायदा हो रहा है. यह उन विदेशी संस्थागत निवेशकों :एफआईआई: पर लागू होगा जिन्होंने किसी भी दोहरा कराधान बचाव संधि :डीटीएए: के तहत कर-लाभ लिया है.भारत-मारीशस डीटीएए की समीक्षा इस आशंका से की जा रही है कि मारीशस का उपयोग भारत में अपने धन की राउंड ट्रिपिंग के लिए किया जा रहा है. हालांकि मारीशस ने हमेशा कहा कि ऐसे दुरपयोग के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं. दोनों पक्ष काफी समय से इस संधि में संशोधन पर चर्चा कर रहे हैं.