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लोकनायक की जयंती पर विशेष : कटाव से जूझ रहा जयप्रकाश नारायण का सिताबदियारा

ठाकुर संग्राम सिंह सिताबदियारा : लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सिताबदियारा में इस साल भी बड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं. गांव में बहुत कुछ बदला है, किंतु उसे यहां के लोग नाकाफी मानते हैं. यहां हर साल 11 अक्तूबर को जेपी जयंती मनाने की प्रथा रही है. इस बार बाढ़ के चलते जयंती […]

ठाकुर संग्राम सिंह
सिताबदियारा : लोकनायक जयप्रकाश नारायण की जयंती पर सिताबदियारा में इस साल भी बड़े कार्यक्रम आयोजित किये गये हैं. गांव में बहुत कुछ बदला है, किंतु उसे यहां के लोग नाकाफी मानते हैं. यहां हर साल 11 अक्तूबर को जेपी जयंती मनाने की प्रथा रही है. इस बार बाढ़ के चलते जयंती समारोह की साधारण तैयारी है. सरकारी और आम सभा दोनों तरफ से एक तरह की व्यवस्था की गयी है. जेपी स्मारक को बेहतर तरीके से सजाया गया है.
बाढ़ का पानी गांव से निकल चुका है. लेकिन, बाढ़ के बाद गांव की हालत क्या होती है, इसका सहज अनुमान लगाया जा सकता है. सड़क के अगल-बगल के गड्ढे पूरी तरह लबालब हैं. संड़ाध से बदबू आ रही है.
विभाग की ओर से दवा का छिड़काव नहीं हो पाया है. लगभग 18 हजार की आबादी वाले सिताबदियारा गांव में अब सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन सभी सुविधाएं अभी के समय में रोते हाल में दिख रही हैं. हालांकि, राज्य की मौजूदा सरकार ने अब उनकी गांव की ओर ध्यान देना शुरू किया है. गांव में धीरे-धीरे सड़क, बिजली, पानी आदि सुविधाएं बहाल की जा रही हैं. वहीं, कटाव के कारण उनका गांव एक बार फिर धीरे-धीरे नदी की गोद में जा रहा है.
सिताबदियारा में दलित बस्ती, लाला टोला, रामेश्वर टोला या मुसलमानों की बस्ती में अब भी सुविधाओं का अभाव है. बिजली और पानी टंकी का नल भी यहां नहीं पहुंचा है. बस्ती वालों को खड़ंजा सड़क भी अब तक नसीब नहीं हो सकी है. इन बस्तियों में 90 फीसदी लोगों के मकान झोंपड़ीनुमा हैं.
गांव के बीचोंबीच पक्की सड़क तो है, किंतु बालू के कारोबारियों ने अब उसका भी जनाजा निकाल दिया है. सांसद राजीव प्रताप रूडी की विकास निधि से करीब 250 घरों में नल लगवाया गया है. लगभग 150 लोगों की विधवा या वृद्धावस्था पेंशन भी चालू करायी गयी है, लेकिन मुख्य समस्याएं जस की जस हैं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2014 में जेपी के जयंती समारोह में सिताब दियारा में शिरकत की थी. उस समय उन्होंने राजनीतिक गुरु जेपी के सम्मान में एक स्मारक बनाने की घोषणा की थी. स्मारक बनकर तैयार हो गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी लोकनायक के सम्मान में वातानुकूलित म्यूजियम बनाने की घोषणा की थी, जिसका निर्माण कार्य जारी है.
जेपी के गांव में बिजली खुद की नहीं है. यह सेवा भाजपा के लालकृष्ण आडवाणी की जन चेतना यात्रा के समय 2011 में यूपी से बिजली की खरीदारी कर बहाल की गयी है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसका उदघाटन किया था. स्थिति यह है कि यह बिजली यूपी के रोस्टर पर ही संचालित होती है.
जेपी के गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र जरूर है, किंतु वहां पुरुषों के इलाज की कोई व्यवस्था नहीं हैं. वजह कि यहां के अस्पताल में दो महिला डाॅक्टर ही तैनात हैं. दवा की उपलब्धता भी यहां नहीं रहती है. जेपी जयंती पर दो या तीन दिनों के लिए सभी सुविधाएं ठीक कर दी जाती हैं. उसके बाद पुन: पहले जैसा हाल हो जाता है.
जेपी के अनुयायी आलोक सिंह कहते हैं कि जयप्रकाश नारायण के सपनों को जरूर आगे बढ़ायेंगे. जेपी के विचारों का प्रचार-प्रसार फाउंडेशन के माध्यम से लोकनायक के विचार को गांव-गांव तक पहुंचाना उनका लक्ष्य है.

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