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आज से थोड़ा कम खायें नमक, चीनी और तेल, भोजन की समझ बढ़ाने के लिए एफएसएसएआइ का इट राइट इंडिया मूवमेंट

कुपोषण को भारत में करीब 15 फीसदी बीमारियों की जड़ माना जाता है. दूसरी ओर खान-पान से जुड़ी समस्याएं बीमारियों में तीसरा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, जो करीब आठ फीसदी रोगों को जन्म देती है. खान-पान की गलत आदतों ने मोटापा जैसी समस्या पैदा कर दी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) तीन और […]

कुपोषण को भारत में करीब 15 फीसदी बीमारियों की जड़ माना जाता है. दूसरी ओर खान-पान से जुड़ी समस्याएं बीमारियों में तीसरा सबसे बड़ा रिस्क फैक्टर है, जो करीब आठ फीसदी रोगों को जन्म देती है. खान-पान की गलत आदतों ने मोटापा जैसी समस्या पैदा कर दी है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस) तीन और चार यानी एक दशक (वर्ष 2001-2011) के बीच मोटापा या अधिक वजन संबंधी समस्या दोगुनी हो गयी है. भारत में 2001 में 4.9 फीसदी पुरुषों में मोटापा था, जो 2011 में बढ़कर 11.1 फीसदी हो गया. वहीं, इस दौरान महिलाओं में मोटापा 5.4 फीसदी से बढ़ कर 10.3 फीसदी हो गया.
पुरुषों-महिलाओं में ऐसे बढ़ा मोटापा
2001 में 5.4 फीसदी महिलाएं और
4.9 फीसदी पुरुष मोटापे से ग्रसित थे
2011 में 10.3 फीसदी महिलाएं और
11.1 फीसदी पुरुष मोटापे की चपेट में
इट राइट इंडिया मूवमेंट से दिया जा रहा संदेश
शुद्ध, सुरक्षित और संपूर्ण भोजन की समझ बढ़ाने के लिए ही भारतीय खाद्य सुरक्षा व मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) ने इट राइट इंडिया मूवमेंट शुरू किया है.
इसके जरिये लोगों को संदेश दिया जा रहा है कि यदि स्वस्थ व बेहतर जीवन जीना हो, तो अपने भोजन में तेल,चीनी व नमक की मात्रा कम करें. यानी आज से ही थोड़ा कम का संदेश. ये चीजें ब्लड प्रेशर, शुगर व हृदय रोग जैसे गैर संचारी रोगों का स्रोत भी हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) और नेशनल इंस्टीट्यूट अॉफ न्यूट्रिशन के आंकड़ों के आधार पर तैयार विश्व बैंक (वर्ल्ड बैंक) की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय अपने भोजन में तेल, नमक और चीनी अनुशंसित मात्रा से अधिक खा रहे हैं.
यहां जानिए कि हम कितना खा रहे चीनी, नमक और तेल
हम भारतीय दशक भर पहले से ही चीनी, नमक और तेल इसकी अनुशंसित मात्रा से अधिक खा रहे हैं. वर्ष 2000 में चीनी की खपत प्रति व्यक्ति 22 ग्राम प्रतिदिन थी, जो वर्ष 2010 में ही 55.30 ग्राम हो गयी.
इसी तरह इस दौरान खाद्य तेल का उपयोग प्रति व्यक्ति 36 ग्राम प्रतिदिन से बढ़ कर 43 ग्राम हो गया. नमक खाने के मामले में भी भारतीय आगे हैं. इसकी खपत पहले ही प्रति व्यक्ति 9-12 ग्राम प्रतिदिन थी, जो अनुशंसित मात्रा से दोगुनी है. ताजा आंकड़े आने पर स्थिति अौर बदतर हो सकती है. ये आंकड़े नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएस)-2012 तथा इंडियन काउंसिल अॉफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) के अध्ययन-2015 से लिये गये हैं.
कितना खाना चाहिए
नमक, चीनी व खाद्य तेल
नेशनल इंस्टीट्यूट अॉफ न्यूट्रिशन (वर्ष 2010)
नमक चीनी खाद्य तेल (प्रतिदिन)
06 ग्राम 20 ग्राम 20-25 ग्राम
डबल्यूएचअो (वर्ष 2015)
नमक चीनी खाद्य तेल (प्रतिदिन)
05 ग्राम 25 ग्राम 30 ग्राम
इट राइट मूवमेंट में यह दिया जा संदेश
नमक के लिए
– अपने भोजन व खाद्य में नमक की मात्रा धीरे-धीरे कम करें.
– घर में हर माह आने वाले नमक व इसके प्रति व्यक्ति खपत को ट्रैक और मॉनिटर करें.
– रोटी या चावल पकाते वक्त इसमें अलग से नमक न मिलायें.
– सलाद, कटे फल, दही और अन्य पके खाद्य में नमक न डालें.
– पापड़, अचार, चटनी, कैचअप व नमकीन स्नैक्स का मजा लें, पर कम मात्रा में, इनमें सोडियम होता है.
– पानी खूब पियें, इससे शरीर से सोडियम व अन्य टॉक्सिक आइटम को शरीर से निकालने में मदद मिलती है.
– फल-सब्जी खूब खायें. इनमें पोटाशियम होता है, जो सोडियम का प्रभाव कम कर देता है.
चीनी के लिए
– घर में चीनी की खपत धीरे-धीरे कम करें.
– हर माह खरीदी जाने वाली चीनी और प्रति व्यक्ति इसकी खपत को ट्रैक व मॉनिटर करें.
– रिफाइन शुगर के बजाय मिठास के प्राकृतिक स्रोत का इस्तेमाल करें. जैसे फल वाली मिठाई में फल से ही मिठास बनायें.
– केक, पेस्ट्री, मिठाई और मैदा वाले मीठे खाद्य का उपयोग कम करें.
– चीनी मिले पेय पदार्थ और स्नैक्स का इस्तेमाल कम करें.
– फलों का रस पीने के बजाय पूरा फल खायें. यह कम कैलोरी वाले फाइबर का स्रोत है.
– चीनी वाले प्रसंस्कृत खाद्य जैसे जैम, जेली व अन्य का इस्तेमाल कम करें.
– बच्चे को चॉकलेट और कैंडी का लती बनाना, भविष्य में उनमें मोटापा व गैर संचारी रोग को निमंत्रण देना है.
– घर में मीठे पकवान बार-बार न बनायें और इन्हें बनाते समय कम चीनी का प्रयोग करें.
खाद्य तेल के लिए
– खाद्य तेल की खपत धीरे-धीरे कम करें.
– घर में आने वाले तेल और प्रति व्यक्ति के हिसाब से इसकी खपत को ट्रैक व मॉनिटर करें.
– बोतल से सीधे पैन में गिराने के बजाय चम्मच से नाप कर तेल डालें.
– हर तीन माह पर खाद्य तेल बदलें, एक साथ कम से कम दो प्रकार का तेल इस्तेमाल करें.
– बार-बार तेल गर्म करने और ऐसा तेल इस्तेमाल करने से बचें.
– तलना कम करें, भुनने, सेंकने, उबालने या भाप से पकाने का विकल्प आजमायें.
– चिकनाई और ट्रांस फैट वाले मक्खन, घी और वनस्पती तेल का उपयोग कम करें.
– बेकरी प्रोडक्ट व प्रोसेस्ड फूड की खपत कम करें. इनमें तेल का अधिक इस्तेमाल होता है.
– यदि आप मांसाहारी हैं, तो रेड मीट की बजाय चिकेन और मछली खायें.

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