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संताल परगना: हर सियासी पार्टी को भितरघात का खतरा

देवघर: संतालपरगना में जैसे-जैसे उम्मीदवार के नामों की घोषणा हो रही है, सियासी पारा चढ़ने लगा है. संतालपरगना की तीन सीटों-गोड्डा, दुमका और राजमहल में जिस तरह का राजनीतिक समीकरण बन रहा है, दलों के अंदर उथल-पुथल की स्थिति है. नेता एक दूसरे पर बयानों के तीर चला रहे हैं. एक दल के नेता दूसरे […]

देवघर: संतालपरगना में जैसे-जैसे उम्मीदवार के नामों की घोषणा हो रही है, सियासी पारा चढ़ने लगा है. संतालपरगना की तीन सीटों-गोड्डा, दुमका और राजमहल में जिस तरह का राजनीतिक समीकरण बन रहा है, दलों के अंदर उथल-पुथल की स्थिति है.

नेता एक दूसरे पर बयानों के तीर चला रहे हैं. एक दल के नेता दूसरे दल में जाकर चुनाव लड़ने की ताक में हैं. प्राय: सभी दलों में भितरघात का खतरा मंडरा रहा है. भाजपा हो या कांग्रेस या झामुमो सभी दलों में अंतर्कलह प्रत्याशियों की जीत की राह में रोड़ा डालेगी. इसलिए तीनों लोकसभा सीट पर जीत की राह आसान नहीं है.

तीन लोकसभा सीटों में दो पर भाजपा का कब्जा है. लेकिन, दोनों ही सीट पर भाजपाइयों के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा है. संगठन की बात करें तो भाजपा का देवघर और गोड्डा संगठन वर्तमान सांसद से खुश नहीं है. 2009 के चुनाव में भी जब निशिकांत दुबे को टिकट देने की घोषणा हुई थी, उस वक्त भी दल के नेताओं ने उनका विरोध किया था. जसीडीह स्टेशन पर मारपीट की घटना भी हुई थी. वह खाई, अब तक पाटी नहीं जा सकी है. हालांकि जिलाध्यक्ष बदले हैं, लेकिन भाजपा में अभी भी खेमेबाजी है. वर्तमान सांसद के विरोधियों का एक खेमा, रोड़ा अटकाने की तैयारी में है. वहीं सांसद श्री दुबे जनता के सहारे चुनावी बैतरनी पार करने की तैयारी में हैं. इस खाई को पाटने के लिए श्री दुबे क्राइसिस मैनेजमेंट में जुटे हैं. गोड्डा सीट पर पार्टी के प्रत्याशी की घोषणा होते ही भाजपा के अंदरखाने की राजनीति गरम होगी.

वहीं राजमहल लोकसभा सीट पर भी भाजपा के वर्तमान सांसद देवीधन बेसरा को जिला संगठन में उतनी तरजीह नहीं मिल रही है. यही कारण है कि राजमहल से भाजपा के कार्यकर्ता उम्मीदवार बदलने की राजनीति कर रहे हैं. चर्चा है कि हेमलाल मुमरू भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ सकते हैं, क्योंकि 2009 के चुनाव में श्री मुमरू दूसरे स्थान पर थे. महज 10 हजार वोट से भाजपा चुनाव जीती थी. ऐसे में यदि झामुमो से आये हेमलाल को पार्टी टिकट देती है, तो भाजपा के अंदरखाने लोग भितरघात कर सकते हैं. वहीं साइमन मरांडी के विरोध के कारण दुमका से झामुमो के विजय हांसदा की राह आसान नहीं है.

दुमका लोकसभा सीट में झामुमो के सर्वमान्य उम्मीदवार शिबू सोरेन को लड़ाने की घोषणा पार्टी ने कर दी है. लेकिन, कभी उनके ही दल में साथ रहे स्टीफन मरांडी जो वर्तमान में कांग्रेस में हैं, पाला बदल सकते हैं और दुमका में अपने पुराने साथी गुरुजी को टक्कर दे सकते हैं. पिछले दिनों स्टीफन ने देवघर में कहा था कि झामुमो दुमका सीट हार जाये, यही उनकी जीत होगी. दुमका में भाजपा की स्थिति सामान्य है. वहां या तो लुईस मरांडी या सुनील सोरेन उम्मीदवार हो सकते हैं. सुनील सोरेन पिछले चुनाव में दूसरे नंबर पर थे. 2014 के चुनाव में गुरुजी को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में भाजपा जुटी है. संताल परगना के पूरे परिदृश्य में झाविमो अलग नीति अपना रहा है. पार्टी ने राजमहल से अनिल मुमरू को उम्मीदवार बनाया है. गोड्डा और दुमका पर अभी तक सस्पेंस बरकरार है. यदि दुमका से बाबूलाल मरांडी चुनाव मैदान में आते हैं, तब दुमका लोकसभा चुनाव दिलचस्प हो जायेगा. बहरहाल, 13 को भाजपा के उम्मीदवारों की घोषणा होनी है. उसके बाद संताल की तसवीर साफ हो जायेगी.

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