सेंट्रल डेस्क
देश की 16वीं लोकसभा चुनाव के महासंग्राम में जितने प्रधानमंत्री पद के दावेदार हैं, सभी कुंवारे हैं. राहुल गांधी, मायावती, जयललिता, ममता बनर्जी और नवीन पटनायक जैसे धुरंधरों ने शादी नहीं की. भाजपा के पीएम पद के घोषित उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने अपनी शादी को नकारा तो नहीं है, मगर यह भी हकीकत है कि वह दांपत्य जीवन में कभी नहीं रहे. यानी उनका जीवन भी कुंवारों जैसा ही है. एक साथ इतने कुंवारों के मैदान में उतरने से शादीशुदा बनाम कुंवारों की बहस छिड़ गयी है. देश को उम्दा नेतृत्व कौन देगा. कुंवारा या शादीशुदा. कुंवारेपन पर राहुल गांधी कहते हैं कि उनके लिए शादी से देश और पार्टी की सेवा सर्वोपरि है, तो मोदी सार्वजनिक तौर पर कह चुके हैं कि जिनके आगे-पीछे कोई नहीं है, वही तन, मन, धन देश को समर्पित कर देश के लिए लड़ सकता है.
नरेंद्र मोदी
(भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी)
वर्तमान स्थिति : गुजरात के मुख्यमंत्री
उपलब्धियां : गोधरा दंगों को लेकर विपक्ष की तमाम आलोचना के बावजूद लगातार तीन बार गुजरात विधानसभा का चुनाव जीत कर मुख्यमंत्री बने
राहुल गांधी
(कांग्रेस उपाध्यक्ष, प्रचार समिति के प्रमुख)
वर्तमान स्थिति : पार्टी के उपाध्यक्ष, चुनाव प्रमुख
उपलब्धियां : सजायाफ्ता सांसदों को बचाने के लिए जो अध्यादेश आया, उसे रद्द कराने समेत केंद्र के कई फैसले बदलवाये
कुंवारे पीएम अटल बिहारी
अब तक देश में सिर्फ एक ही कुंवारा व्यक्ति प्रधानमंत्री बना. उनका नाम है अटल बिहारी वाजपेयी. लेकिन, इस बार कई कुंवारे मैदान में हैं, जो प्रधानमंत्री बनने के प्रबल दावेदार हैं. ऐसे में देश को एक बार फिर कुंवारा प्रधानमंत्री मिलने की उम्मीद है.
कौन होगा बेहतर
कुंवारे और शादीशुदा प्रधानमंत्री में कौन बेहतर होगा, इस पर राजनीतिज्ञों के अलग-अलग विचार हैं. कांग्रेस प्रवक्ता भक्त चरण दास ऐसी तुलना को ठीक नहीं मानते. वह कहते हैं कि हर व्यक्ति की अलग क्षमता है. उसकी काबिलियत उसके कुंवारेपन या फिर शादीशुदा होने से प्रभावित नहीं होती. भाजपा प्रवक्ता मुख्तार अब्बास नकवी भी कहते हैं कि ऐसी बहस का कोई औचित्य नहीं है, क्योंकि देश ने नरेंद्र मोदी को पीएम की कुरसी पर बिठाने का मन बना लिया है.
ये भी तो हैं कुंवारे
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कुंवारी हैं. उनके समर्थन में प्रचार कर रहे अन्ना हजारे भी कुंवारे है. नरेंद्र मोदी के समर्थन में उतरे योग गुरु बाबा रामदेव कुंवारे हैं. ओड़िशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और बसपा सुप्रीमो मायावती एवं तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता भी कुंवारों की श्रेणी में हैं और सभी जोड़-तोड़ की स्थिति में पीएम की कुरसी तक पहुंचने का सपना देख रहे हैं.
ममता बनर्जी
वर्तमान स्थिति : तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
उपलब्धियां : वामदलों के अभेद्य किले को ढाह कर बंगाल की कमान संभाली. केंद्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहीं
नवीन पटनायक
वर्तमान स्थिति : बीजू जनता दल के प्रमुख, ओड़िशा के मुख्यमंत्री
उपलब्धियां : वर्षो तक लंदन में रहने के बाद पिता की विरासत संभालने के लिए देश लौटे. ओड़िया राजनीति में अपनी पैठ बनायी और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बने. कांग्रेस का सूपड़ा साफ कर दिया
जे जयललिता
वर्तमान स्थिति : अन्नाद्रमुक की अध्यक्ष और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री
उपलब्धियां : अभिनय के क्षेत्र में सफलता के झंडे गाड़ने के बाद दो बार राजनीति में आयीं. तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनीं. केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार बनवाने में मदद की
यदि देश में मोदी के विकास की लहर है, तो भाजपा को बिहार में रामविलास पासवान की पार्टी से गठबंधन करने की जरूरत क्यों पड़ी. भाजपा हमेशा आरक्षण का विरोध करती आयी है, तो उसने फिर देश के शिक्षित बेरोजगारों का बेड़ा गर्क करने के लिए आरक्षण समर्थकों के साथ दोस्ती करके अपनी साख को ही घटना चाहती है या फिर दलितों का हितैषी बनने का दिखावा कर रही है.
राजू मकवाना
‘आज तक’ के एक पत्रकार द्वारा ‘आप’ के संयोजक अरविंद केजरीवाल के साक्षात्कार करने के मसले पर देश में मोदी समर्थकों ने हंगामा मचा रखा है. वहीं, लोगों को यह भी सोचना चाहिए कि साक्षात्कार देने के बाद केजरीवाल पत्रकार को सलाह भी दे सकता है कि साक्षात्कार के किस अंश को प्रसारित करना है. अब अगर इस बात पर लोग बवाल मचायें, तो यह भारतीय राजनीति के लिए अच्छा नहीं है.
अजय रामदत्त