क्वेटा : पाकिस्तान के गृह मंत्रालय की ओर से मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद को आतंकवादी स्वीकार कर लिये का असर दिखाई देने लगा है. इसी का नतीजा है कि जमात-उद-दावा के प्रमुख और कई महीनों से पाकिस्तानी सरकार की ओर से नजरबंद हाफिज सईद को आतंकवादी करार देते ही अशांत बलूचिस्तान में विभिन्न प्रतिबंधित संगठनों के के करीब 434 चरमपंथियों ने आत्मसमर्पण कर दिया है.
शुक्रवार को सरेंडर करने वाले विद्रोही प्रतिबंधित संगठन बलोच रिपब्लिकन आर्मी (बीआरए), बलोच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) और अन्य चरमपंथी संगठनों से जुड़े हुए थे. ये संगठन अस्थिर प्रांत बलूचिस्तान के सुरक्षाकर्मियों और कैंपो को कथित रूप से निशाना बना चुके हैं. इन चरमपंथियों ने उस समय आत्मसमर्पण किया है, जब बलूचिस्तान में चीन ग्वादर पोर्ट विकसित कर रहा है, जिसका व्यापारिक और सामरिक महत्व काफी है.
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चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर (सीपीईसी) बलूचिस्तान से होकर गुजरेगा. अशांत बलूचिस्तान सीपीईसी के नजरिये से भी काफी अहम है. ऐसे में आजादी समर्थक गुटों के 434 विद्रोहियों का आत्मसमर्पण करना इस्लामाबाद के लिए काफी राहत भरी खबर है. हालांकि, बलूचिस्तान में आजादी की मांग पुरानी है. पिछले साल आजादी समर्थकों ने पाकिस्तान का विरोध करते हुए भारतीय झंडा और पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीर लहरायी थी.
दक्षिणी कमांड के लेफ्टिनेंट जनरल अमीर रियाज ने विद्रोहियों की ओर से आत्मसमर्पण करने के बाद जारी बयान में कहा है कि आत्मसमर्पण करने के बाद बलूचिस्तान के विद्रोही आम नागरिक की तरह अपना जीवन बिता सकते हैं. उन्होंने कहा कि जो कोई कोई भी हथियार छोड़ना चाहता है, उसका स्वागत है. वहीं, बलूचिस्तान के मुख्यमंत्री सन्नुल्लाह जेहरी ने आरोप लगाया कि लंबे समय से विदेशी एजेंसियां प्रांत के इन मासूम लोगों को भड़काने का काम कर रही हैं. प्रतिबंधित गैर-कानूनी संगठन बीएलए के कमांडर शेर मोहम्मद ने कहा कि हमें पाकिस्तान विरोधी ताकतों की ओर से धोखा दिया गया है.
बलूचिस्तान के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अब तक करीब 1500 चरमपंथी आत्मसमर्पण कर चुके हैं. पाकिस्तान का कहना है कि अफगानिस्तान और ईरान से लगने वाले बलूचिस्तान की सीमा का उपयोग प्रांत के लोगों को भड़काने और देश विरोधी काम करवाने में किया जाता है.