दिमाग द्वारा भेजे गये संदेशों के आधार पर ही शरीर के अंग काम करते हैं. किसी अंग की मांसपेशियों की कोशिकाएं जब क्षतिग्रस्त या खराब हो जाती हैं, तो ये संदेश नहीं ले पातीं. इससे शरीर का हिस्सा काम करना बंद कर देता है. इसके कारण शरीर के किसी अंग में अचानक कमजोरी होना, अंग में सूनापन, आवाज लड़खड़ाना, कभी-कभी आवाज भी बंद हो जाती है, लेकिन समय रहते उपचार शुरू होने पर लकवा ग्रस्त रोगी ठीक हो सकता है.
क्या है पैरालाइसिस
मांसपेशियां शरीर के सभी अंगों तक दिमाग का संदेश भेजने का काम करती हैं. दिमाग द्वारा भेजे गये संदेश के आधार पर ही शरीर के अंग काम करते हैं. यह एक अतितीव्र प्रक्रिया होती है. लेकिन शरीर के किसी अंग की मांसपेशियों की कोशिकाएं जब क्षतिग्रस्त या खराब हो जाती हैं, तो यह संदेश नहीं दे पातीं हैं. इससे शरीर का वह हिस्सा काम करना बंद कर देता है. इसी बीमारी को ‘पैरालाइसिस’ कहते हैं. कई बार खून की नाड़ियों के ब्लॉक हो जाने से भी मांसपेशियां काम करना बंद कर देती हैं जिससे दिमाग और अंग (जिसकी मांसपेशियां खराब हैं) के बीच संबंध खत्म हो जाता है. इससे शरीर का वह हिस्सा जहां खून की नाड़ी ब्लाक हो गयी है, काम करना बंद कर देती है.
कई कारणों से होता है
पैरालाइसिस होने के कई कारण हो सकते हैं. पैरालाइसिस के ज्यादातर मामले आमतौर पर खून की नाड़ियों के ब्लॉक होने की वजह से देखने को मिलते हैं. इसके अलावा यदि ब्रेन का कोई हिस्सा डैमेज हो जाये तो भी पैरालाइसिस हो सकता है. कोई गंभीर चोट लगने की वजह से भी पैरालाइसिस हो सकता है. पैरालाइसिस होने के अन्य कुछ कारण इस प्रकार हैं :-
ब्रेन ट्यूमर होने पर त्नब्रेन स्ट्रोक होने से त्नइफेंक्शन होने से त्नखून की नाड़ी में गांठ बन जाने से त्नरीढ़ की हड्डी टूट जाने से त्नकई बार कैंसर से भी हो जाता है त्नवायरस अटैक से त्नब्रेन में ब्लीडिंग होने से त्नचोट लग जाने से
कई वैक्सींस इलाज में कारगर
पैरालाइसिस का कोई विशेष इलाज नहीं है. चिकित्सक मरीज से मिली जानकारी के हिसाब से इसका इलाज करते हैं. कई बार शरीर का सीटी स्कैन और एमआरआइ जैसे टेस्ट से भी इस बिमारी के शुरुआती लक्षणों का पता लगाकर इलाज किया जा सकता है. कुछ प्रकार के पैरालाइसिस के लिए वैक्सींस ईजाद हो चुके हैं, जिनसे काफी हद तक मरीज को राहत मिलती है. विशेषज्ञों का मानना है कि रीढ़ की हड्डी और दिमाग के दुर्घटना में क्षतिग्रस्त होने पर पैरालाइसिस होता है, तो इसे ट्रीटमेंट से जल्द रिकवर किया जा सकता है. इसके अलावा मरीज जितनी जल्दी इसके लक्षणों से परिचित होकर ट्रीटमेंट शुरू कर देगा, उसे उतना अधिक ही लाभ मिलेगा.
डॉ मुकुल वर्मा
सीनियर न्यूरोलॉजिस्ट अपोलो अस्पताल, दिल्ली