वाशिंगटन : पाकिस्तान के विशेष राजदूतों में शामिल मुशाहिद हुसैन सैयद ने कहा कि भारत के प्रति अमेरिकी की नीति में आए ‘‘यू-टर्न’ के बाद पाकिस्तान को रुस के साथ करीबी संबंध विकसित करने की जरुरत महसूस हुई. उन्होंने साथ ही आरोप लगाया कि अमेरिका ‘‘राजनीतिक लाभ” के लिए भारत के साथ संबंधों को मजबूत कर रहा है. सैयद ने थिंक टैंक ‘अटलांटिक काउंसिल’ द्वारा वाशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा, ‘‘हम (पाकिस्तान) पाकिस्तान की कूटनीतिक नीति में एक बदलाव महसूस कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा ‘‘हर क्रिया की प्रतिक्रिया होती है और राष्ट्रपति बराक ओबामा की भारत की दो यात्राओं के बाद पाकिस्तान को रुस के साथ करीबी संबंध विकसित करने की जरुरत महसूस हुई. ‘ डॉन न्यूज की खबर के अनुसार सैयद ने कहा, ‘‘यह पाकिस्तान-रुस संबंधों में यह नये अध्याय की शुरुआत है.” उन्होंने कहा कि रुस क्षेत्र के देशों के साथ एक कामकाजी रिश्ता बनाने के पक्ष में है और उसने परोक्ष रुप से अफगान तालिबान के साथ बातचीत की प्रक्रिया भी शुरु की है. सैयद ने कहा अमेरिकी विदेश विभाग ने 2006 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को वीजा देने से इनकार कर दिया था लेकिन जब मोदी प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए तो अमेरिका ने ‘‘राजनीतिक लाभ” के लिए अपनी नीति बदल दी.
उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिकी नीति में आए इस यू-टर्न की शुरुआत (जॉर्ज डब्ल्यू) बुश प्रशासन के समय में हो गयी थी जब अमेरिका-भारत परमाणु समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था जो परमाणु हथियारों के अप्रसार कानून के खिलाफ था.”
पाकिस्तानी सीनेट के सदस्य सैयद ने कहा, ‘‘अफगानिस्तान की स्थिरता और आतंकवाद का खात्मा अमेरिका की शीर्ष प्राथमिकता है जिसके लिए पाकिस्तान के शांति प्रक्रिया में भूमिका निभाने की जरुरत है. पाकिस्तान शांति प्रक्रिया में ना केवल अपनी मदद दे रहा है बल्कि नुकसानों का भी सामना कर रहा है.” उन्होंने साथ ही कहा कि सिंधु जल संधि का उल्लंघन ‘‘युद्ध जैसी कार्रवाई” होगी.
सैयद ने कहा, ‘‘पाकिस्तान और भारत के अलावा विश्व बैंक भी संधि में हितधारक है.” उन्होंने जम्मू-कश्मीर के उरी में हुए आतंकी हमले को लेकर कहा, ‘‘भारत और पाकिस्तान से जुडे संयुक्त राष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षण समूह को उरी हमले की जांच करनी चाहिए. नियंत्रण रेखा पार कर भारत में किसी निशाने पर हमला करना किसी भी आतंकी के लिए संभव नहीं है.”
सीनेट सदस्य ने कहा कि अगर भारत के पास हमले से जुडा कोई सबूत या खुफिया जानकारी है तो वह उसे पाकिस्तान के साथ साझा करे. सितंबर की शुरुआत में पाकिस्तान और रुस के बीच अब तक के पहले सैन्य अभ्यास के लिए रुसी थल सेना का एक दल पाकिस्तान आया. दो हफ्तों का यह अभ्यास दस अक्तूबर तक चलने की उम्मीद है. दोनों देशों के करीब 200 सैन्यकर्मी अभ्यास में हिस्सा ले रहे हैं. रुस के साथ यह सैन्य अभ्यास भारत और पाकिस्तान के बीच बढते तनाव के बीच हो रहा है.