परमाणु शक्ति : भारत बनाम पाकिस्तान
भारतीय सेना द्वारा कश्मीर में नियंत्रण रेखा के पार जाकर आतंकियों के खिलाफ ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ के बाद से पाकिस्तान की बौखलाहट कई रूपों में सामने आ रही है. एक ओर जहां आतंकियों का पोषक राष्ट्र होने के आरोप से बचने के लिए पाकिस्तान सरकार ने ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ को ही नकार दिया है, वहीं दूसरी ओर पाक सेना ने नियंत्रण रेखा पर युद्ध विराम का उल्लंघन कर फायरिंग तेज कर दी है.
इस बीच पाकिस्तानी रक्षा मंत्री ने भारत के खिलाफ परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की भी धमकी दे डाली. जानकारों का मानना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच यदि परमाणु युद्ध शुरू हुआ, तो इसकी भीषण तबाही से दोनों देशों के करोड़ों लोगों की जान तो जायेगी ही, दुनिया के कई अन्य देशों के पर्यावरण पर भी गंभीर प्रभाव पड़ेगा. सीमा और नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव के पलों में दोनों देशों की परमाणु क्षमता और इसके किसी भी इस्तेमाल के गंभीर कुपरिणामों पर नजर डाल रहा है आज का ‘इन डेप्थ’.
भारत और पाकिस्तान के बीच यदि सचमुच युद्ध छिड़ गया और दोनों देशों ने कुल 100 परमाणु हथियारों का भी इस्तेमाल किया, (जो दोनों की संयुक्त परमाणु क्षमता का करीब आधा है और जिनमें से प्रत्येक हिरोशिमा पर गिराये गये 15 किलोटन के समान बम है) तो इससे 2.1 करोड़ से ज्यादा आबादी काल के गाल में समा जायेगी. इसके अलावा करीब आधी दुनिया की सुरक्षात्मक ओजोन परत नष्ट हो जायेगी और समूचे विश्व में मॉनसून और कृषि पर ‘न्यूक्लियर विंटर’ का असर पड़ेगा. वर्ष 2007 में तीन अमेरिकी विश्वविद्यालयों- रग्टर्स यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोरेडो-बोल्डर और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजिल्स- के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में यह आकलन किया था.
भारत-पाक सीमा पर पसरे तनाव के बीच पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने भले ही परमाणु हमले से भारत का ‘सफाया’ करने की धमकी दी हो, लेकिन परमाणु युद्ध की असली कीमत भारत और पाकिस्तान के हुक्मरानों द्वारा किये जा रहे दावे से कहीं ज्यादा बड़ी होगी और इसका प्रभाव केवल भारत और पाकिस्तान तक सीमित नहीं होगा, जहां करीब 2.1 करोड़ लोगों (जो द्वितीय विश्व युद्ध में मारे गये लोगों के मुकाबले आधी है) के विस्फोट के असर, जलन और तीव्र विकिरण से पहले सप्ताह के भीतर नाश होने की आशंका है. दक्षिण एशिया टेररिज्म पोर्टल ‘डेटा’ पर ‘इंडिया स्पेंड’ द्वारा किये गये विश्लेषण के मुताबिक, इसमें मरनेवालों की संख्या पिछले नौ वर्षों के दौरान भारत में आतंकी हमलों में मरनेवाले नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों के मुकाबले 2,221 गुना ज्यादा होगी.
फिजिशियंस के एक ग्लोबल फेडरेशन ‘इंटरनेशनल फिजिशियन फॉर द प्रिवेंशन ऑफ न्यूक्लियर वॉर’ द्वारा वर्ष 2013 में किये गये मूल्यांकन के अनुसार, उपमहाद्वीप में परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने से जलवायु प्रभाव के कारण दुनियाभर में दो अरब अन्य लोगों को गंभीर भुखमरी के जोखिम का सामना करना होगा.
‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2015 तक पाकिस्तान अनुमानित तौर पर 110 से 130 परमाणु हथियार की क्षमता से संपन्न हो चुका था, जो संख्या वर्ष 2011 में 90 से 110 के करीब थी. भारत के पास 110 से 120 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
पाकिस्तान के 66 फीसदी परमाणु हथियार बैलिस्टिक मिसाइलों पर
‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ के अनुमान के अनुसार, पाकिस्तान के परमाणु हथियार का कम-से-कम 66 फीसदी हिस्सा यानी 86 भूमि आधारित बैलिस्टिक मिसाइलों से जुड़ा है. पाकिस्तान की हत्फ (पैगंबर मुहम्मद के नाम पर) बैलिस्टिक मिसाइलों की शृंखला को भारत को ध्यान में रखते हुए ही विकसित किया गया है (अब भी विकसित किया जा रहा है).
मुंबई स्थित संस्था ‘नेशनल सिक्योरिटी, एथनिक कॉनफ्लिक्ट एंड टेररिज्म एट गेटवे हाउस’ में फेलो समीर पाटिल कहते हैं कि पाकिस्तान के मध्यम दूरी के परमाणु बैलिस्टिक मिसाइल (एमआरबीएम) द्वारा किये गये बड़े हमले से भारत के चार प्रमुख महानगरों (दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरू और चेन्नई) को लक्ष्य बनाने की संभावना है. एमआरबीएम के लक्ष्य भारतीय सेना के प्रमुख कमांडेंट भी होंगे. पाकिस्तान के लगभग आधे (40) बैलिस्टिक मिसाइल हथियार ‘गोरी’ एमआरबीएम से जुड़े हो सकते हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज बेंगलुरु द्वारा पाकिस्तान के बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर 2006 की इस रिपोर्ट में मिसाइल की 1,300 किलोमीटर की मारक क्षमता का दावा किया गया है.
ऐसे में ये दिल्ली, जयपुर, अहमदाबाद, मुंबई, पुणे, नागपुर, भोपाल और लखनऊ को निशाना बना सकते हैं. पाकिस्तान के आठ हथियार शाहीन (फाल्कन) द्वितीय से जुड़े हो सकते हैं. एमआरबीएम की क्षमता 2,500 किमी है और पूर्वी तट पर कोलकाता सहित ज्यादातर प्रमुख भारतीय शहरों को लक्षित कर सकते हैं.
भारत के त्रिमूर्ति : पनडुब्बी, मिसाइल और विमान
‘बुलेटिन ऑफ द एटॉमिक साइंटिस्ट्स’ के अनुसार, भारत ने 56 पृथ्वी (धरती) और अग्नि (आकाश) शृंखला के तहत मार करनेवाली बैलिस्टिक मिसाइलें तैनात की हैं, जो भारत के अनुमानित 106 हथियार का 53 फीसदी है. इसमें ‘के-15 सागरिका’ पनडुब्बी बैलिस्टिक मिसाइलों के अनुमानित 12 हथियार (एसएलबीएम्स) शामिल नहीं हैं, जिसे भारत ने संभवतः परमाणु संचालित बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बी आइएनएस अरिहंत के लिए बनाया है.
अरिहंत भारत को सामरिक परमाणु संपन्न प्रहार की क्षमता प्रदान करेगा. पाटिल का कहना है कि पाकिस्तान के छोटे भौगोलिक आकार को देखते हुए भारत संभवत: इसलामाबाद, रावलपिंडी, लाहौर और कराची व नौशेरा में पाकिस्तानी सेना के सशस्त्र वाहिनी मुख्यालय को लक्ष्य बना सकता है. हालांकि, लाहौर और कराची पर परमाणु हमलों का नतीजा केवल पाकिस्तानी क्षेत्र तक ही सीमित नहीं रहेगा और भारतीय व अफगान सीमा प्रदेशों को भी प्रभावित कर सकते हैं, जो उस समय बहनेवाली हवा की दिशा पर निर्भर करेगा.
(‘इंडिया स्पेंड डॉट कॉम’ द्वारा जारी रक्षा विश्लेषक अभीत सिंह सेठी की रिपोर्ट का संपादित अंश. साभार)
भारत के परमाणु हथियार वाहक
1. एयरक्राफ्ट : वज्र
वारहेड्स की संख्या : 32 यह मिराज-2000 एयरक्राफ्ट है, जिसे वज्र नाम दिया गया है. भारतीय वायु सेना में यह तीन दशक पूरा कर चुका है. कारगिल युद्ध के दौरान इसने टाइगर हिल पर शत्रुओं पर बमबारी करते हुए उन्हें खत्म कर दिया था.
2. एयरक्राफ्ट : जगुआर
वारहेड्स की
संख्या : 16
इसे फ्रांस और ब्रिटेन में मिल कर विकसित किया था, जो वायु सेना के लिए न्यूक्लियर अटैक में मुख्य योगदानकर्ता है. पिछले तीन दशकों से भी ज्यादा समय से यह भारतीय वायु सेना में शामिल है.
जमीन-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल
1. पृथ्वी :
वारहेड्स की संख्या : 24 भारत में विकसित इस शृंखला के एसआरबीएम 600 किमी की दूरी तक मार करने में सक्षम हैं. इसलामाबाद, कराची और सियालकोट समेत पाकिस्तान के अनेक प्रमुख शहरों को इसके जरिये निशाने पर लिया जा सकता है.
2. अग्नि-1 :
वारहेड्स की संख्या : 24
इंटेग्रेटेड गाइडेड मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत इस शृंखला के मिसाइलों को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है. इसकी रेंज 700 से 1,250 किमी तक है.
3. अग्नि-2 :
वारहेड्स की संख्या : 8 इसकी रेंज 2,000 से 3,000 किमी तक है, जिसके दायरे में पाकिस्तान का तकरीबन समूचा इलाका आता है.
4. अग्नि-3 :
वारहेड्स की संख्या : 4 इसकी रेंज 3,500 से 4,000 किमी तक है, जिसके दायरे में पाकिस्तान का पूरा भौगोलिक इलाका और अफगानिस्तान व चीन का एक बड़ा इलाका आ सकता है. इसे खास तौर पर चीन से सुरक्षा के लिए विकसित किया गया है.
समुद्र-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल
1. धनुष :
वारहेड्स की संख्या : 2
भारतीय नौसेना के इस जहाज को परमाणु हथियारों से लैस करने की क्षमता है. 250 किलो वारहेडस के साथ इसे 750 किमी तक, 500 किलो वारहेड के साथ 600 किमी तक और 1,000 किलाे वारहेड के साथ इसे 350 किमी तक मार करने में इस्तेमाल किया जा सकता है.
2. के-15 सागरिका :
वारहेड्स की संख्या : 12 परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम यह सबमरीन बैलिस्टिक मिसाइल भी छोड़ सकता है, जिसकी रेंज 750 किमी तक है. इसे डीआरडीओ के द्वारा देश में ही विकसित किया गया है.
पाकिस्तान के परमाणु हथियार वाहक
1. एयरक्राफ्ट : एफ-16 ए/बी
वारहेड्स की
संख्या : 24
अमेरिका निर्मित यह एयरक्राफ्ट विविध भूमिका के लिए उपयोगी है, जिसे 1983 में शामिल किया गया.
2. एयरक्राफ्ट : मिराज 3/4
वारहेड्स की
संख्या : 12
इसकी लंबाई 15 मीटर और ऊंचाई 4.5 मीटर है. इसका वजन 7,050 किलो है. इसकी ईंधन
क्षमता 3,340 लीटर है और यह 2,350 किमी प्रति घंटा की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम है.
जमीन-आधारित बैलिस्टिक मिसाइल
1. गजनवी (हत्फ-3)
वारहेड्स की संख्या : 16
अफगान हमलावर महमूह गजनवी के नाम पर रखे गये इस बैलिस्टिक मिसाइल की रेंज 270 से 350 किमी तक है. लुधियाना, अहमदाबाद और दिल्ली के पश्चिम हिस्से से सटे हरियाणा के इलाके इसके टारगेट पर आ सकते हैं.
2. शाहीन-1 (हत्फ-4)
वारहेड्स की संख्या : 16
शॉर्ट-रेंज श्रेणी का यह सतह आधारित बैलिस्टिक मिसाइल 750 किमी की दूरी तक मार कर सकता है, जिसके टारगेट पर दिल्ली, जयपुर और अहमदाबाद जैसे भारतीय शहर हो सकते हैं.
3. शाहीन-2 (हत्फ-6)
वारहेड्स की संख्या : 8
इसे पाकिस्तान की नेशनल डिफेंस कॉम्प्लेक्स में विकसित किया गया है. यह शाहीन-1 का उन्नत संस्करण है, जो 2,000 किमी तक मार कर सकता है.
4. गोरी (हत्फ-5)
वारहेड्स की संख्या : 40
उत्तरी कोरिया के नोडोंग-1 के डिजाइन से प्रेरित गोरी को पाकिस्तान के कहूटा रिसर्च लैबोरेटरी में विकसित किया गया, जिसका उन्नत संस्करण 2,300 किमी तक प्रहार करने में सक्षम है.
5. एनएएसआर (हत्फ-9)
वारहेड्स की संख्या : 6
हत्फ शृंखला का यह सर्वाधिक उन्न्त संस्करण है, जिसे चीन की मदद से विकसित किया गया है. इसे 2013 में पाकिस्तानी सेना में शामिल किया गया है. इसकी मारक क्षमता 60 किमी तक है, जिसे मुख्य रूप से लड़ाई के मैदान में इस्तेमाल के लिए बनाया गया है.
क्रूज मिसाइल
बाबर (हत्फ-7)
वारहेड्स की संख्या : 8
यह पारंपरिक किस्म का न्यूक्लियर वारहेड है, जो 880 किमी प्रति घंटे की स्पीड से उड़ान भरने में सक्षम है, जिसकी मारक क्षमता 700 किमी तक है.
परमाणु बम का एक भी हमला हुआ, तो तबाही के अनुमान धरे रह जाएंगे
पाक परमाणु भौतिकविद् परवेज हूदभोय की राय
पाकिस्तानी परमाणु भौतिकविद् परवेज हूदभोय ने समाचार एजेंसी आइएएनएस को दिये एक साक्षात्कार में परमाणु हमले से उत्पन्न होनेवाले हालात की चर्चा की है. पेश हैं, प्रमुख अंश :
– टैक्टिकल और स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर हथियारों
में क्या अंतर है?
टैक्टिकल हथियार आमतौर पर छोटे होते हैं. इन्हें विविध रॉकेट बैरल से हथियारबंद ट्रकों से लांच किया जा सकता है. इन हथियारों की क्षमता 100 किलोमीटर से अधिक नहीं होती है, जबकि स्ट्रेटेजिक हथियार युक्त एयरक्रॉफ्ट या मिसाइल से उपमहाद्वीप में कहीं भी निशाना लगाया जा सकता है.
– पाकिस्तान किन परिस्थितियों में टैक्टिकल परमाणु हथियारों की तैनाती और प्रयोग कर सकता है?
पाकिस्तान ने हमेशा कहा है कि उसने भारत की ओर से होनेवाले प्रमुख जमीनी हमलों और समुद्री नाकेबंदी को नाकाम करने के लिए टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों को तैयार किया है. हालांिक अन्य आकस्मिक स्थितियों के लिए भी योजनाएं होंगी.
– स्ट्रेटेजिक न्यूक्लियर हथियारों के मुकाबले ऐसे हथियार कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं?
दोनों ही हथियार जहां भी इस्तेमाल किये जायेंगे, भारी क्षति पहुंचायेंगे. स्ट्रेटेजिक और टैक्टिकल हथियारों में कोई स्पष्ट अंतर नहीं है. अगर इनका इस्तेमाल सेना को लक्ष्य करके किया जाये, तो इसे टैक्टिकल और जब आबादी, डैम या औद्योगिक स्थान को लक्ष्य कर किया जाये, तो इसे स्ट्रेटेजिक हथियार कहेंगे.
– टैक्टिकल न्यूक्लियर हथियारों के इस्तेमाल और इसके बड़े परमाणु युद्ध में तब्दील होने की कितनी संभावना है?
किसी भी लक्ष्य को निशाना बना कर परमाणु हथियारों के इस्तेमाल का मतलब है परमाणु युद्ध की शुरुआत. इस बात की प्रबल संभावना है कि यदि एक देश ने इसका इस्तेमाल किया, तो दूसरा भी बदले में कार्रवाई करेगा. इस होड़ में तेजी आने की भी बहुत ज्यादा संभावना है. ऐसी स्थिति में यह युद्ध तभी खत्म होगा, जब सारे हथियार समाप्त हो जायेंगे.
– क्या परमाणु हथियारों के इस्तेमाल को उचित ठहराया जा सकता है, भले ही वह कम तीव्रता के ही क्यों न हो? भारत-पाक तनातनी के इस माहौल में कहीं यह धमकाने का जरिया तो नहीं?
लोगों को यह समझने की जरूरत है कि एक छोटे आकार के परमाणु हथियार का इस्तेमाल भी सभी हदों को पार कर सकता है. अगर ऐसा हुआ, तो स्थितियां बेहद खतरनाक हो जायेंगी, क्योंकि उसके बाद कुछ भी हो सकता है.
परमाणु हथियार एक ओर जहां भारत को पाकिस्तान के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करने से रोक रहा है, वहीं इसी वजह से पाकिस्तान ने भारत के खिलाफ ज्यादा आक्रामक रवैया अपनाया हुआ है. इसी मुद्दे पर 20 साल पहले मैंने स्वर्गीय के सुब्रह्मण्यम (सामरिक मामलों के विश्लेषक और शुरुआती दौर में भारत की परमाणु नीति की रूपरेखा तैयार करनेवाले) से बहस की थी, लेकिन उन्होंने पाकिस्तान के कभी परमाणु संपन्न बनने की संभावना को ही खारिज कर दिया था.
– सीमापार एक मुखर आवाज होने के नाते, आपकी नजर में दोनों देशों में ‘आक्रामक’ कौन है? भारत के इस दावे से आपका कितना सहमत हैं कि वह पाकिस्तान के छद्म युद्ध से पीड़ित है.
मेरे जैसे लोगों ने इस बात को लेकर एक लंबी बहस की है कि लश्कर-ए-तैयबा जैसे समूहों को पनाह देने के लिए ही पाकिस्तान ने परमाणु हथियारों की आड़ ले रखी है. ये घिनौने तथ्य हैं. किसी भी परिस्थिति में पाकिस्तान को हत्यारों को पनाह या सहायता नहीं देनी चाहिए, भले ही उसके आतंकवाद से पीड़ित भारतीय हों या पाकिस्तानी. दूसरी ओर, कश्मीर को लेकर भारत ने जो कड़ा रुख अपनाया है, उसे लेकर भी मैं निराश हूं. इससे हमारे लिए ज्यादा मुश्किल हालात पैदा हो सकते हैं.
(‘द फाइनेंशियल एक्सप्रेस’ से साभार)