कौशलेंद्र रमण
दुनिया में सबसे आसान काम किसी को सलाह देना है. रवि जी सलाह देने में चैंपियन हैं. उनका दूसरा सबसे प्रिय शौक है पान खाना. उनके इन दोनों शौक से उनके दफ्तर के लोग परेशान रहते हैं. उनकी सलाह सुनने से हर कोई भागता है. पान खाने की लत की वजह से उनके कपड़े तो खराब होते ही हैं, कभी-कभी दफ्तर की सीढ़ियों और वॉश रूम को भी वह गंदा कर देते हैं. दफ्तर में बहुत से लोग उन्हें उनकी इस आदत पर उन्हें टोकना तो चाहते हैं, लेकिन सलाह देने की उनकी फितरत से दूर भागते हैं. वैसे, रवि जी दिल के बुरे नहीं हैं.
दफ्तर में काम भी ठीक करते हैं. लेकिन, इन दो आदतों ने उनकी इमेज को सिर्फ दफ्तर में ही नहीं, उनके रिश्तेदारों के बीच भी खराब कर दी है. एक दिन उनकी कंपनी में कुछ नये लोग बहाल हुए. उनमें से एक प्रशिक्षु राेहित को रवि जी के मातहत तीन महीने तक काम सीखने को कहा गया. रवि जी मन लगा कर रोहित को काम सिखाने लगे. रोहित भी दिल से सीखने लगा. लेकिन, अपनी आदत के अनुरूप वह रोहित को हर तरह के मामले में बिना मांगे सलाह देने से बाज नहीं आते थे. उनके पान की वजह से कई बार टेबुल पर रखे कागज गंदे हो जाते. उनमें कुछ जरूरी कागजात भी होते.
इससे रोहित अंदर ही अंदर गुस्सा होता. एक दिन रवि जी से गलती से पान का पीक एक जरूरी फाइल पर गिर गया. उन्होंने चपरासी को नया फाइल लाने को कहा. लेकिन, इस बार रोहित से चुप रहा नहीं गया. उसने प्रेम से रवि जी से कहा – सर, आप सबको सलाह देते हैं. एक सलाह मेरी भी मानें और पान खाना छोड़ दें. इससे आपको भी फायदा होगा और दफ्तर भी साफ रहेगा.
रवि जी गुस्से में अपने पुराने सहयोगी की तरफ देख कहने लगे – दो दिन का छोकरा मुझे सलाह देने चला है… उनकी बात खत्म होने के पहले मित्र ने कहा – रवि भाई दूसरों को सलाह देना आसान है, स्वीकार करना मुश्किल. इसके बाद से रवि जी ने अपनी आदत में थोड़ा सुधार कर लिया है.
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