-कमल विश्वास-
पश्चिम सिंहभूम जिले के मंझारी प्रखंड की पुटिसिया स्थित कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की छात्राओं ने अपनी सुरक्षा स्वयं को मूलमंत्र बनाया है. ये छात्राएं अब अपनी सुरक्षा स्वयं करेंगी.इसके लिए बकायदा कस्तूरबा पुलिस का गठन किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य चाहरदीवारी विहीन आवासीय विद्यालय में रहनेवाली तमाम छात्राओं व शिक्षिकाओं को भयमुक्त माहौल देना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है. छात्राओं की पुलिस स्कूल परिसर में विधि-व्यवस्था को भी बनाये रखने का भी कार्य करती है. इसके गठन से कई मामले सुलझे हैं.
चोरी, झगड़ा, मारपीट आदि मामलों को भी यह पुलिस अपने स्तर पर सुलझाती हैं. जबकि विफल रहने पर पुलिस मामले को बाल संसद में भेज देती है. जहां पर बाल संसद द्वारा मामले पर उचित और न्यायपूर्ण सुनवाई की जाती है.
–75 छात्राएं तैनात-
यहां अध्ययनरत 285 छात्राओं समेत शिक्षिकाओं की सुरक्षा के लिए आवासीय विद्यालय में रहनेवाली 75 छात्राओं को पुलिस कर्मी के रूप में तैनात किया गया है. इनमें से अधिकतर छात्राएं कराटे जानती हैं. वे स्कूल की ओर से राष्ट्रीय स्तर पर भी अपना जोहर दिखा चुकी हैं. यह पुलिस अपनी कार्रवाई की रिपोर्ट वार्डेन को देती है. छात्रा लक्ष्मी बिरूवा को कस्तूरबा पुलिस का प्रभारी बनाया गया है. जबकि, उपप्रभारी विनोती नापीत, मंुशी विनिता कुदादा , जमादार रिंकी नायक, कविता कुंटिया, सुजाता कालंदी, कांस्टेबल शांति कालंदी, नीतु बिरुवा, बबिता बिरुवा, आरती नापीत, अंजली कालंदी व मादेय पुरती है. इसके अलावा गश्ती दल में प्रत्येक दिन के लिए 12 छात्राओं का समूह तैयार किया गया है.
क्याहैकाम
छात्राओं का आपसी विवाद को सुलझाना
विद्यालय में अनुशासन और शांति बनाये रखना
विद्यालय के कार्यक्रमों में विधि-व्यवस्था बनाना
रात्रि विश्राम से पहले सुरक्षा की जांच करना
अप्रिय स्थिति से निबटने के लिए तैयार रहना
सुलोचना ठाकुर, वार्डेन केजीबीवी, मंझारी ने बताया, मैं तीन वर्षों से यहां कार्यरत हूं. विद्यालय में असुरक्षा व छात्राओं में अनुशासन की कमी हमेशा से खलती रही थी. विद्यालय की विधि-व्यवस्था को व्यवस्थित व भयमुक्त बनाना के लिए यह कदम उठाया गया. इसके बेहतर रिजल्ट मिल रहे है. जिला शिक्षा विभाग ने अन्य कस्तूरबा विद्यालय में मॉडल को फॉलो करने के लिये सुझाव मांगा है.
लक्ष्मी बिरूवा, कस्तूरबा पुलिस प्रभारी ने बताया सुरक्षा के मद्देनजर रात को सोने से पूर्व गश्ती कर सभी दरवाजों के बंद होने की पुष्टि की जाती है. छात्राओं के आवासीयों स्कूल में अवैध रूप से प्रवेश के दौरान पकड़े गये लोगों को पहले समझाया जाता है. नहीं मानने पर पिटाई तक की कार्रवाई की जायेगी.