नयी दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गाय की सुरक्षा के नाम पर हिंसा करनेवालों पर तीखी टिप्पणी की. अपनी सरकार की ‘माई गवर्नमेंट’ पहल की दूसरी वर्षगांठ के अवसर पर शनिवार को टाउन हॉल स्टाइल (सार्वजनिक चर्चा)संबोधन में पीएम ने ऐसे लोगों को असामाजिक तत्व बताया और कहा कि ऐसे लोग गो सेवक नहीं हो सकते हैं. सिर्फ गाय की रक्षा के नाम पर दुकान चला रहे हैं. उन्होंने राज्य सरकारों को सलाह दी कि तथाकथित गाय रक्षकों पर दस्तावेज तैयार करें, क्योंकि उनमें से 80 फीसदी रात में अवैध गतिविधियां करते हैं और दिन में गाय के हिमायती बन जाते हैं. इस तरह का सहायता समूह चलाने का यह मतलब नहीं है कि दूसरों का उत्पीड़न किया जाये.
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि गायों का वध किये जाने से ज्यादा संख्या में प्लास्टिक खाने से उनकी मृत्यु होती है. जो लोग जानवर की सेवा करना चाहते हैं, उन्हें गायों को प्लास्टिक खाने से रोकना चाहिए, क्योंकि वह बड़ी सेवा होगी. उत्तरप्रदेश, गुजरात सहित विभिन्न राज्यों में गाय रक्षकों की ओर से दलितों और मुसलिमों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को लेकर अपनी सरकार की किरकिरी होने के बाद पहली बार पीएम का यह बयान आया है.
विदेश नीति में भारत प्रथम
विदेश नीति के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार के राजनयिक संबंधों का मुख्य बिंदु भारत प्रथम होता है. यह भारत के रणनीतिक हितों की रक्षा करना, भारत की आर्थिक समृद्धि को दिन दूनी रात चौगुनी करने से जुड़ा होता है.उन्होंने कहा कि आज समय बदल गया है और दुनिया एक-दूसरे पर निर्भर हो गयी है और कोई भी देश किसी निश्चित समूह में नहीं रह सकता. प्रधानमंत्री ने कहा कि 125 करोड़ भारतीयों के सपनों को पूरा करने का उत्साह उनको मिशन मोड़ में बनाये रखता है.
30 साल तक 08% ग्रोथ, तो भारत नंबर वन
मोदी ने कहा कि अगले 30 साल तक हर साल आठ प्रतिशत से अधिक की आर्थिक वृद्धि हासिल होने से दुनिया की सबसे बेहतर चीजें भारत में होंगी. अभी 7.5 प्रतिशत से अधिक आर्थिक वृद्धि के साथ भारत दुनिया में सबसे तेजी से वृद्धि करने वाली अर्थव्यवस्था बन गया है. वैश्विक आर्थिक सुस्ती व देश में सूखे के बावजूद यह वृद्धि हासिल करना महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि देश में बदलाव लाने के लिए सरकारी फायदों का अंतिम छोर तक पहुंचना उतना ही महत्वपूर्ण है, जितना कि नियम कायदों का होना जरूरी है.
पंचायत में कुछ हो या राज्य में हर सवाल पीएम से ही क्यों !
प्रधानमंत्री ने बेहतर राजकाज संचालन के मामले में हर स्तर पर जवाबदेही तय करने की वकालत करते हुए कहा कि जो भी जिम्मेदार है, उसे जवाबदेह और उत्तरदायी बनाया जाना चाहिए. मोदी ने कहा कि आज यदि पंचायत स्तर पर कुछ हो या नगरपालिका में या फिर राज्यों में कुछ हो, तो मुझसे सवाल किया जाता है. राजनीतिक तौर पर यह ठीक है, टीआरपी के लिए भी यह अच्छा है, लेकिन प्रधानमंत्री के लिए यह समस्या खड़ी कर देता है.भागीदारी वाले लोकतंत्र पर जोर देते हुए कहा कि यह बेहतर प्रशासन के लिए जरूरी है. यह तभी संभव है, जब लोगों की बात सुनी जाये और उनकी शिकायतों पर कार्रवाई हो. सुशासन की कमी के कारण करोड़ों रुपये बरबाद हो रहे हैं, इसलिए विकास व सुशासन के बीच संतुलन की जरूरत है.