अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि अमरीका चरमपंथी संगठन इस्लामिक स्टेट को ख़त्म करने की आक्रामक कोशिशें जारी रखेगा.
देश के रक्षा मंत्रालय, पेंटागन में उन्होंने एक संवाददाता सम्मेलन में कथित इस्लामिक स्टेट को ख़त्म करने की मुहिम का साल भर का लेखा जोखा संवाददाताओं के सामने रखा.
उन्होंने कहा कि कुल 67 देशों के नेतृत्व में अमरीका इस्लामिक स्टेट को ख़त्म की साझा मुहिम जारी रखेगा.
वो सात बातें जो ओबामा ने कही –
1. गठबंधन सेना का नेतृत्व करते हुए अमरीका ने इस्लामिक स्टेट के ठिकानों पर 14,000 से अधिक हमाई हमले किए हैं. इनमें से ईराक में 9,400 से अधिक हमले किए गए हैं जबकि सीरिया में 4,700 से अधिक हमले किए गए हैं. ईराक और सीरिया में इस्लामिक स्टेट के वरिष्ठ कमांडर मारे गए हैं.
2. अमरीका अभूतपूर्व तकनीक के साथ इतिहास के सबसे सटीक हवाई हमले कर पा रहा हैं.
3. सीरिया या फिर ईराक में पिछले पूरे एक साल में इस्लामिक स्टेट कोई बड़ा हमला नहीं कर पाया है.
4. ईराक और सीरिया से बाहर – अमरीका सहयोगियों और मित्र देशों के साथ हर उस जगह पहुंचेंगा, जहां इस्लामिक स्टेट पहुंचने की कोशिश करेगा.
5. अनेकता अमरीका को मज़बूत बनाती है. हम किसी चरमपंथी और एकता और अनेकता के मूल्यों का विरोध करने वाली आवाज़ों को देश को कमज़ोर बनाने नहीं देंगे.
6. इस्लामिक स्टेट लोगों को किसी सब-वे में, किसी परेड पर हमला कर डर पैदा करने के लिए अकेले जा कर (लोन वूल्फ अटैक) हमले करने के लिए प्रेरित करते रह सकता है. लेकिन अमरीका और नैटो मित्र देशों को इस तरह के डर फैलाने की कोशिश के आगे हथियार नहीं डालने चाहिए.
7. ओबामा ने सीरियाई सरकार को समर्थन देने और एल्लेपो जैसे बड़ी आबादी वाले शहरों की घेराबंदी के लिए रूस की आलोचना की. उन्होंने कहा- अमरीका हिंसा कम करने के लिए रूस के साथ सहयोग करने कोशिश करता रहेगा और इस्लामिक स्टेट और अन्य चरमपंथी गुटों के ख़िलाफ़ लड़ाई पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा.
इस सम्मेलन में उन्होंने ईरान को 40 करोड़ डॉलर देने पर मीडिया में हुई सरकार की आलोचना का भी जवाब दिया. उन्होंने कहा, यह धन कोई ‘फिरौती की रकम’ नहीं थी.
ओबामा ने कहा कि इस रकम और बाद में ब्याज के 13 लाख डॉलर देने की ख़बर छुपाई नहीं गई थी. लेकिन मीडिया ने सिर्फ इस बात को छापा कि यह रकम नगद दी गई थी और यह ईरान में बंधक बनाए गए चार अमरीकी नागरिकों को छुड़ाने की फिरौती थी.
ओबामा ने कहा, ईरान के साथ हमारे आर्थिक संबंध नहीं हैं, इसलिए हम उन्हें चेक या किसी और तरीके से यह रकम नहीं भिजवा सकते थे.
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