
सोमवार को दिल्ली से छपे अख़बारों में जिन ख़बरों की चर्चा है, वो हैं – मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने जताई भारतीय डॉक्टरों की क़ाबिलियत पर चिंता और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विपक्ष से जीएसटी पास करने की अपील.
‘द हिंदू’ में छपी एक ख़बर के मुताबिक़ विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भारतीय डॉक्टरों की शिक्षा और उनकी क़ाबिलियत पर चिंता जताई है.
अख़बार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि भारत के आधे से ज़्यादा डॉक्टरों के पास पढ़ाई के लिहाज़ से पर्याप्त योग्यता नहीं है और ग्रामीण इलाकों के महज़ 18.8 फ़ीसदी एलोपेथिक डॉक्टर ही योग्यता प्राप्त हैं.

‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में छपी ख़बर के मुताबिक़ दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि उसने दिल्ली में भारत-पाकिस्तान जैसे तनाव की स्थिति पैदा कर दी है.
उन्होंने लोगों से अपने पहले संवाद ‘टाक टू एके’ के तहत ये बात कही. उन्होंने मोदी सरकार पर आरोप लगाया कि दिल्ली में उनकी सरकार को काम नहीं करने दिया जा रहा है.
‘द टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ में ही छपी ख़बर के मुताबिक़ उत्तराखंड में लगातार चौथे दिन भी बारिश जारी होने से हालात बेहद ख़राब हो गए हैं. राज्य में भूस्खलन की वजह से 12 लोगों की मौत हो गई है और बद्रीनाथ के रास्ते में क़रीब एक हज़ार तीर्थयात्री फंसे हुए हैं.

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’)
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी ख़बर के मुताबिक़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कश्मीर मुद्दे पर केंद्र सरकार का साथ देने के लिए विपक्ष का शुक्रिया अदा किया और अपील की कि अब जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स बिल को भी पास होने दें.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद का मॉनसून सत्र शुरू होने से पहले बुलाई गई एक ऑल पार्टी मीटिंग में ये अपील की.

‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में छपी ख़बर के मुताबिक़ जीएसटी बिल पास कराने को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली मंगलवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाक़ात करेंगे.
अख़बार ये भी कहता है कि कांग्रेस ने राज्यों में केंद्र की दख़लंदाज़ी और अरुणाचल के मुद्दे पर सरकार को आक्रामक तरीके से घेरने की योजना बनाई है.
‘हिंदुस्तान टाइम्स’ में ही छपी ख़बर के मुताबिक़ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चाहते हैं कि देश के बड़े शहरों में नगरीय निकायों को और ज़्यादा मज़बूत बनाना चाहिए.
उन्हें और ज़्यादा आर्थिक स्वतंत्रता दी जानी चाहिए. अख़बार कहता है कि केंद्र सरकार की मंशा है कि लंदन जैसे अंतरराष्ट्रीय मेट्रो की तर्ज पर भारत के बड़े शहरों में भी मेयर का चुनाव सीधे जनता करे और उनके कार्यकाल की अवधि पांच साल हो.
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