युवाओं और किशारों के बीच लोकप्रिय रेव पार्टी नशीली दवा एक्सटसी या एमडीएमए, चिंता और सदमे के बाद के तनाव विकार (पीटीएसडी) के उपचार में उपयोगी हो सकती है. ब्रेन इमेजिंग प्रयोगों से पता चला है कि किस तरह एक्सटसी या एमडीएमए, इसके प्रयोगकर्ताओं में उत्साह के भाव पैदा करती है.
इंपीरियल कॉलेज, लंदन के औषधि विभाग के प्रमुख रॉबिन कारहार्ट हैरिस ने बताया, हमने पाया कि एक्सटसी या एमडीएमए, दिमाग के संवेदना वाले और स्मृति वाले हिस्सों में रक्त प्रवाह को कम करती है. यह प्रभाव उत्साह के एहसास से संबंधित हो सकता है, जिसे लोग नशीली दवा के सेवन के बाद अनुभव करते हैं. शोधकर्ताओं ने 25 लोग चुने. इन लोगों का दिमाग दो बार स्कैन किया गया. एक दवा लेने के बाद और दूसरा प्रयोगिक औषधि लेने के बाद. उन्हें यह भी नहीं बताया गया कि उन्हें कौन-सी दवा दी गयी है. शोध के परिणाम में देखा गया कि एमडीएमए ने भावनात्मक प्रतिक्रि याओं में शामिल संरचनाओं के एक सेट- लिंबिक सिस्टम की गतिविधि कम कर दी.
तोड़ डालिए नशीली दवाओं का भ्रमजाल
अभी हाल ही में मादक द्रव्यों के दुरु पयोग एवं उनके अवैध व्यापार के विरु द्ध मनाये गए अंतर्राष्ट्रीय दिवस पर इस बात पर जोर दिया गया कि नशीले पदार्थो के सेवन से वैश्विक स्तर पर अनेकों जीवन बर्बाद हो रहे हैं, अपराधों को बढ़ावा मिल रहा है तथा आर्थिक विकास पर अंकुश लग रहा है. इस अवसर पर यूएनओ के सेक्रेटरी जनरल ने अपने संदेश में समस्त विश्व का आह्वान करते हुए अपील की हम सभी को स्वयं के तथा औरों के जीवन को मादक द्रव्यों के चंगुल से दूर रखना होगा. इनके इस्तेमाल से जहां एक ओर एड्स तथा अन्य घातक रोग हमारे स्वास्थ्य पर हमला करते हैं, वहीं इनकी खेती करने से हमारा पर्यावरण भी दूषित होता है.
समाज में अपराधिक प्रवृत्तियां पनप कर देशों की न्यायिक व्यवस्था को खोखला करते हुए गरीबी और अव्यवस्था को जन्म देती हैं, तथा उपभोक्ता विनाश के गर्त में गिरता जाता है. यदि हम वैश्विक आंकड़ों पर नजर डालें तो स्थिति वास्तव में गंभीर है. मादक द्रव्यों का अवैध धंधा, पेट्रोलियम और शस्त्र उद्योग के बाद विश्व का तीसरा सबसे बड़ा कारोबार है. लाखों व्यसनी, जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए, नारकीय जीवन व्यतीत कर रहे हैं. इनका प्रयोग न केवल हमारे शारीरिक और मानिसक स्वास्थ्य को बर्बाद कर रहा है, वरन इनके अवैध उत्पादन और वितरण के चलते हिंसात्मक अपराध भी फल फूल रहे हैं.
लेकिन यह भी जानें
इंपीरियल कॉलेज में न्यूरोसाइकोफार्मेकोलॉजी के प्रोफेसर एडमंड जे साफ्रा डेविड नट ने बताया, परिणाम यह दर्शाते हैं कि एमडीएमए के चिकित्सकीय प्रयोग से चिंता और पीटीएसडी का उपचार संभव हो सकता है लेकिन हमें सावधान रहने की जरूरत हैं क्योंकि शोध स्वस्थ लोगों पर किया गया था. रोगियों पर इसका समान प्रभाव देखने के लिए हमें रोगियों पर शोध करना होगा. कारहार्ट-हैरिस ने कहा, स्वस्थ लोगों में एमडीएमए ने दुखदायी यादों को कम किया. इससे यह विचार आया कि यह पीटीएसडी के रोगियों की मदद कर सकती है.