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‘एफ़डीआई का फ़ैसला, राजन की घोषणा का असर’

परंजॉय गुहा ठाकुरता आर्थिक मामलों के जानकार रक्षा और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों में भारत सरकार के 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फ़ैसले को मैं क्रांतिकारी फ़ैसला नहीं मानता हूँ. लंबे समय से इस पर चर्चा चल हो रही थी. विदेशी निवेशकों के लिए नागरिक उड्डयन क्षेत्र और रक्षा सेक्टर को आसान बनाने की कोशिश […]

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रक्षा और नागरिक उड्डयन क्षेत्रों में भारत सरकार के 100 प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के फ़ैसले को मैं क्रांतिकारी फ़ैसला नहीं मानता हूँ.

लंबे समय से इस पर चर्चा चल हो रही थी. विदेशी निवेशकों के लिए नागरिक उड्डयन क्षेत्र और रक्षा सेक्टर को आसान बनाने की कोशिश हो रही थी.

जब भारतीय जनता पार्टी विपक्ष में थी तब उसने इन क्षेत्रों के साथ-साथ रीटेल और दूसरे सेक्टर में भी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ़डीआई) का विरोध किया था.

अब सत्ता में आते ही उनकी चिंताएं और प्राथमिकताएं बदल गई हैं.

इसकी वजह ये है कि भारत अमरीका के नज़दीक जाने की कोशिश कर रहा है.

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जब बीजेपी ने एफडीआई का विरोध किया था

चीन के बढ़ते प्रभाव की वजह से भी भारत अमरीका का क़रीबी बनना चाहता है. उसके इस फ़ैसले से सबसे ज़्यादा फ़ायदा अमरीका और इसराइल की कंपनियों को होगा.

लेकिन इस फ़ैसले की एक और बड़ी वजह है रघुराम राजन की घोषणा से संभावित असर को बेअसर करने की कोशिश.

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दुनिया की सबसे ओपन इकॉनोमी बनेंगे: मोदी

भारतीय रिज़र्व बैंक के मौजूदा गवर्नर इस कार्यकाल के बाद शिकागो यूनिवर्सिटी लौट रहे हैं और विदेशों में उनकी काफ़ी अच्छी छवि है.

विदेशी निवेशक उन्हें काफ़ी पसंद करते हैं. ऐसे में उनके दूसरे कार्यकाल में पद पर नहीं बने रहने की घोषणा की वजह से बाज़ार पर विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका थी.

विदेशी निवेशक इससे निराश हो सकते थे. तो इस डर को काउंटर करने के लिए ये फ़ैसला अचानक से ले लिया गया.

इससे हमारी अर्थव्यवस्था में चमत्कार हो जाएगा, ऐसा सोचना बेकार है.

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इससे ना तो फ़ौरन नौकरी के नए अवसर आएंगे ना ही महंगाई कम होगी.

हमारे यहां सबसे बड़ी निवेशक तो ख़ुद सरकार है, उसके बाद हमारा निजी क्षेत्र है.

उनमें ख़ुद ही निवेश को लेकर कोई विशेष उत्साह नहीं है. कैपिटल गुड्स में निवेश कम होता जा रहा है.

ऐसे में मैं फिर यही कहूंगा कि रघुराम राजन के पद छोड़ने के एलान के बाद सरकार को लेकर जो नकारात्मक माहौल बन रहा है उसका असर कम करने के लिए ये एफ़डीआई का फ़ैसला लिया गया है.

(बीबीसी संवाददाता मोहनलाल शर्मा से बातचीत पर आधारित)

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