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हमें भी अपनाना चाहिए गौतम बुद्ध का तरीका
गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों और अनुयायियों को मौखिक शिक्षा दी है. बाद में इसे उनके अनुयायियों द्वारा संकलित किया गया. बुद्ध अपने प्रवचन में मुख्य बातों पर ही जोर देते थे. वे कभी सुनने वाले के विचारों का विरोध न करते और न ही तर्क करते थे. वे तो उस व्यक्ति के विचारों को […]
गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों और अनुयायियों को मौखिक शिक्षा दी है. बाद में इसे उनके अनुयायियों द्वारा संकलित किया गया. बुद्ध अपने प्रवचन में मुख्य बातों पर ही जोर देते थे. वे कभी सुनने वाले के विचारों का विरोध न करते और न ही तर्क करते थे. वे तो उस व्यक्ति के विचारों को अपनाकर उससे प्रश्न करते ताकि सुनने वाला अपने विचार खोल कर सामने रख सके. इस तरह बुद्ध उस व्यक्ति को उसके विचार और दृष्टिकोण को सुधारने तथा सत्य को गहराई से समझने में सहायता करते थे.
एक बार एक शोकाकुल मां अपने मृत बच्चे के साथ बुद्ध के पास आयी. वह रो रही थी. बुद्ध ने उनका दुख सुना. वह महिला चाहती थी कि बुद्ध उस मृत बच्चे को जीवित कर दें. तब गौतम बुद्ध ने उस महिला से कहा- आप ऐसे घर से सरसों के दाने लेकर आयें, जहां किसी की मृत्यु नहीं हुई हो.
वह महिला उस गांव में मौजूद हर घर में गयी, लेकिन ऐसा कोई भी घर नहीं था, जहां कभी किसी की मृत्यु नहीं हुई हो. वह बुद्ध की बात समझ गयी और पुनः उनके पास पहुंची. इसके बाद उन्होंने अपने बच्चे का अंतिम संस्कार किया.
गौतम बुद्ध की यह तकनीक हम सभी को अपनानी चाहिए. हमें लोगों से बहस करने की बजाय, उन्हें डांट कर, प्रेशर दे कर समझाने की बजाय उनकी बातों को सुनना चाहिए. हमें उनकी बातों को गहराई से समझना चाहिए और यह अच्छी तरह जान लेना चाहिए कि उनके ऐसे विचारों के पीछे की वजह क्या है.
जब हम यह समझ जायेंगे, तो हमें उन्हें समझाना और आसान हो जायेगा. इसके साथ ही हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि समझाने का तरीका ऐसा हो कि सामनेवाले को चोट भी न पहुंचे और उसे बात समझ भी आ जाये. लोगों से रिश्ता बनाये रखने, संबंधों में मधुरता बनाये रखने के लिए आपको यह तकनीक सीखनी ही होगी.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
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