असम के नए मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने उल्फा के सभी धड़ों को बातचीत की मेज पर आने को कहा है. सोनोवाल का कहना है कि बातचीत के जरिए ही सभी समस्याओं का हल निकाला जा सकता है.
मंगलवार को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद बीबीसी हिंदी से खास बातचीत में सोनोवाल ने कहा, "हम चाहते हैं कि उल्फा शांति वार्ता में शामिल हो. बातचीत के जरिए ही इन चीजों का हल निकल सकता है. बिना बातचीत के कुछ नहीं हो सकता है. मुझे लगता है कि उल्फा के जो भी प्रमुख नेता हैं सभी को आना चाहिए."
‘घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई’राज्य में चरमपंथ का भी प्रभाव है और उल्फा से सरकार की बातचीत में काफी समय से गतिरोध बना हुआ है. परेश बरुआ का एक गुट बातचीत नहीं कर रहा है. इसके अलावा एक अन्य गुट बातचीत में शामिल नहीं है. राज्य में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए इन गुटों से बातचीत शुरू करना सोनोवाल के सामने एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है.
सोनोवाल कहते हैं, "हम असम में शांति के लिए हमेशा प्रतिबद्ध हैं. अगर इस विषय पर कोई सकारात्मक पहल करना चाहते हैं तो उसका स्वागत होगा."
असम में पहली बार सरकार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव में घुसपैठ को भी मुद्दा बनाया था. इस मुद्दे पर सोनोवाल कहते हैं कि असम की जमीन से घुसपैठियों को बेदखल किया जाएगा.
उन्होंने कहा, "राज्य में विदेशी घुसपैठियों के बढ़ने की वजह से स्थानीय आबादी ज़्यादा असुरक्षित महसूस कर रही है. स्थानीय लोगों की मांग और उनकी इच्छा को पूरा करने के लिए हम घुसपैठियों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करेंगे. असम की ज़मीन पर उनका कोई हक़ नहीं होगा."
भारत के साथ बांग्लादेश की सीमा लगी हुई है और यहां घुसपैठ के लगातार मामले सामने आते रहे हैं. असम की बीजेपी सरकार के पास इसके लिए क्या योजना है?
इस सवाल पर सोनोवाल कहते हैं, "भारत-बांग्लादेश सीमा को पूरी तरह सील करना होगा ताकि कोई भी घुसपैठिया सरहद पार कर असम में न घुस पाए."
उनके मुताबिक़, "सरकार सीमा पर मजबूत फेंसिंग लगाएगी. साथ ही जहां-जहां घुसपैठिये हैं, उन्हें वहां से निकालने की कोशिश की जाएगी."
हालांकि सोनोवाल के सामने और भी चुनौतियां हैं. जब राज्य में चुनाव हो रहे थे तो ऐसी भी ख़बरें आ रही थीं कि बांग्लादेश से आने वाले हिंदुओं को नागरिकता दी जाएगी.
इस मुद्दे पर सोनोवाल का कहना है, "बांग्लादेश से आए घुसपैठियों में हम हिंदू मुस्लिम का फर्क नहीं करेंगे. लेकिन दोनों देशों के बीच ज़मीनों के आदान-प्रदान के समझौते का पालन करेंगे."
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