नयी दिल्ली : आचार समिति की ओर से अपने निष्कासन की सिफारिश करने से एक दिन पहले निर्दलीय सांसद व शराब उद्योगपति विजय माल्या ने सोमवार को राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया. वह 9,400 करोड़ रुपये से अधिक के कर्ज की अदायगी नहीं करने के मामले का सामना कर रहे हैं. राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में माल्या ने कहा है कि वह नहीं चाहते कि उनके नाम व छवि की और अधिक मिट्टी पलीद हो. हालिया घटनाक्रम से जाहिर होता है कि मुझे न्याय नहीं मिलेगा, इसलिए मैं राज्यसभा की सदस्यता से तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देता हूं. राज्यसभा की आचार समिति के अध्यक्ष करण सिंह की ओर से उन्हें लिखे गये पत्र का भी जिक्र किया.
यह राज्यसभा में माल्या का दूसरा कार्यकाल है, जो एक जुलाई को समाप्त होने वाला था. मामले पर गौर करने वाली आचार समिति ने 25 अप्रैल की अपनी बैठक में आमराय से फैसला किया कि माल्या को अब सदन का सदस्य नहीं रहना चाहिए और उन्हें निष्कासित करने की सिफारिश करने की योजना बना रही थी.
आपको बता दें कि माल्या अपने डिपोलमेंट पासपोर्ट के साथ विदेश भागे थे. पहले विदेश मंत्रालय ने माल्या का ईडी की सिफ़ारिश पर माल्या का पासपोर्ट निलंबित कर दिया. इसके बाद माल्या का पोसपोर्ट रद्द कर दिया गया. तीन बार नोटिस के बाद भी माल्या ईडी के सामने हाजिर नहीं हुए. हालांकि उन्होंने पूरे मामले में अपनी बात सामने रखी और बताया कि वो पैसा वापस करना चाहते हैं. माल्या विभिन्न बैंकों से 9000 करोड़ रुपये से अधिक के ऋण लेने के बाद उसे नहीं चुकाने को लेकर कानूनी कार्यवाही का सामना कर रहे शराब कारोबारी विजय माल्या देश छोडकर चले गए. माल्या पर विभिन्न बैंकों का लगभग 7800 करोड़ रुपये बकाया है और वे इस मामले में डिफॉल्टर घोषित किये जा चुके हैं.
माल्या के पास विदेशों में चल और अचल दोनों तरह जितनी संपत्ति है वह उनके द्वारा लिए गए ऋण से भी अधिक है.इस पर पीठ ने जानना चाहा कि ऐसी स्थिति में कैसे बैंकों ने उन्हें कर्ज दिया. एजी ने कहा कि ऋण इस बात को ध्यान में रखकर दिया गया कि किंगफिशर एयरलाइंस के पास विमानों का बेडा और ब्रांड वैल्यू है तथा ऋण लोगो और विमान के तीसरे पक्ष से जुडे होने के आधार पर भी दिया गया.