भारत सरकार ने कहा है कि उनसे ब्रिटेन से कोहिनूर हीरा दोबारा हासिल करने की कोशिशें छोड़ी नहीं हैं.
ये बेशकीमती हीरा 19वीं सदी में ब्रितानी हाथों में आया था और अब ब्रितानी ताज का हिस्सा है.
इस हीरे की मिल्कियत बहुत से भारतीयों के लिए भावनात्मक मुद्दा है, जो मानते हैं कि ब्रितानियों ने ये हीरा चुराया था.
लेकिन सोमवार को भारत के सॉलिसीटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के बताया कि कोहिनूर को ‘न तो जबरदस्ती छीना गया था और न हीं चुराया गया था’.
उन्होंने कहा कि 105 कैरेट का ये हीरा 1849 में पंजाब के शासकों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को ‘तोहफे में’ दिया था.
लेकिन भारत के संस्कृति मंत्रालय ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा कि ‘कोहिनूर को सौहार्द्रपूर्ण तरीके से भारत लाने के सभी संभव प्रयास किए जाते रहेंगे’.
बयान में कहा गया है कि जो कुछ सॉलिसीटर जनरल ने कहा वो सरकार की राय को प्रदर्शित नहीं करता.
बयान के मुताबिक़ अदालत को इस बारे में अभी आधिकारिक पक्ष का ब्योरा दिया जाना बाक़ी है.
सुप्रीम कोर्ट इस मामले में एक एनजीओ की याचिका पर सुनवाई कर रहा है.
याचिका में कहा गया है कि अदालत कोहिनूर को वापस भारत लाने के लिए सरकार को निर्देश दे.
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