कहते हैं कि छुट्टियों के दौरान अपनों के संग बिताये गये खुशनुमा पलों का कोई मोल नहीं होता, मगर अब भारतीयों में इस अनमोल पलों के बदले पैसे लेने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है. आज 37 प्रतिशत से ज्यादा भारतीय ऑफिस से छुट्टी लेने की बजाय पैसे लेने को तैयार हैं.
छुट्टियां बहाना होती हैं अपनों के साथ खुशनुमा पल बिताने का, परिवार के संग किसी खूबसूरत जगह पर घूमने जाने का और अपने पसंदीदा काम को थोड़ा वक्त देने का. मगर भारतीयों पर बढ़ता ऑफिस के काम का दबाव उन्हें इन सभी चीजों से महरूम करता जा रहा है. अतिरिक्त छुट्टियां तो दूर ऑफिस में अत्यधिक काम के चलते भारतीय अपनी अधिकारिक छुट्टियों का लाभ भी नहीं उठा पा रहे हैं. हाल में एक्सपीडिया नामक ऑनलाइन ट्रैवल कंपनी द्वारा किये गये एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है कि ऑफिस की बढ़ती जिम्मेदारियां भारतीयों के घूमने और पर्यटन करने के शौक पर ग्रहण लगाती जा रही हैं.
काम के चलते नहीं ले पाते छुट्टियां
रांची की चित्र पिछले कई महीनों से पति सुरेश के संग किसी टूरिस्ट प्लेस पर जाने की प्लानिंग कर रही हैं, मगर पति को छुट्टी न मिल पाने के चलते उन्हें बार-बार अपनी प्लानिंग स्थगित करनी पड़ती है. चित्र कहती हैं कि इस साल की शुरुआत में ही छोटे भाई की शादी में पति ने पंद्रह दिन की छुट्टी ली थी. तब से अब तक हम कहीं भी नहीं गये. साल खत्म होने को आया है और अभी भी पति की सात-आठ छुट्टियां बची हैं, लेकिन काम के चलते पति छुट्टी नहीं ले पा रहे हैं.
छुट्टी लेना गलत मानते हैं लोग
एक्सपीडिया के मार्केटिंग हेड मनमीत अहलूवालिया बताते हैं कि भारत में ज्यादा छुट्टियां लेने को एक गलत आदत के तौर पर देखा जाता है. जापानियों में भी कुछ इसी तरह की आदत देखी गयी है. अमेरिकी, जापानी और कोरियाई लोग सबसे कम छुट्टियां लेते हैं, जबकि यूरोप और ब्राजील के लोग छुट्टियों को आराम के बजाय एक जरूरत समझते हैं.
भारतीयों को एक साल में 25 छुट्टियां मिलती हैं, लेकिन 37 प्रतिशत भारतीय इन छुट्टियों की बजाय पैसे लेने को तैयार हैं. भारतीयों का मानना है कि छुट्टियां मांगने पर उनके मैनेजर या बॉस नाक-भौंह चढ़ा लेते हैं. इस सर्वे से यह बात भी सामने आयी है कि कई भारतीयों को छुट्टी पर भी काम करना पड़ता है. सर्वेक्षण के अनुसार 53 प्रतिशत भारतीय छुट्टियों के दौरान भी अपने इ-मेल चेक करते हैं.