भोपाल के बालगृह में पिछले तीन साल से रह रहे रमज़ान बुधवार को अपने पिता के वतन बांग्लादेश के लिए रवाना हो गए.
पाकिस्तानी मां और बाग्लादेशी पिता से अलग होकर, भारत में घुस आए रमज़ान 15 साल के हैं और पिछले तीन साल से भोपाल के एक बालगृह में रह रहे थे.
पाकिस्तान से भारत की गीता की वापसी के बाद रमज़ान को भी पाकिस्तान जाने की उम्मीद बंधी थी, जहां उनकी मां रहती हैं.
रमज़ान अपनी मां के पास पाकिस्तान जाना चाहते थे, पर उनके पास ज़रूरी दस्तावेज़ नहीं थे.
भारत सरकार ने भी इसके लिए प्रयास किए लेकिन उनका पाकिस्तान जाना संभव न हो पाया.
आख़िरकार भारतीय अधिकारियों को उन्हें बांग्लादेश भेजना पड़ रहा है, जहां उनके पिता रहते हैं.
रमज़ान को कोलकाता की बाल कल्याण समिति को सौंपा गया है, जो उन्हें बांग्लादेश दूतावास के सहयोग से उन्हें बांग्लादेश पहुँचाएँगे.
भोपाल से रवाना होने से पहले रमज़ान ने कहा, ”मुझे बहुत अच्छा लग रहा है कि मैं घर जा रहा हूँ. भारत में मुझे तीन साल तक बहुत प्यार मिला. हर किसी ने मेरी मदद की.”
रमज़ान भोपाल आने से पहले बांग्लादेश में ही पिता के साथ रहते थे.
उनके मुताबिक सौतेली मां के व्यवहार से परेशान होकर उन्होंने घर छोड़ दिया था, जिसके बाद वह भारत पहुँचे.
भोपाल में बालगृह चलाने वाली संस्था ‘आरंभ’ की डायरेक्टर अर्चना सहाय कहती हैं, ”हमें ख़ुशी भी है और दुख भी है. अब उनकी देखभाल कैसे होगी. काग़ज़ों की वजह से उनका पाकिस्तान जाना नहीं हो पाया."
उनका कहना था, "हमें लग रहा था कि 18 साल का होने के बाद उनके लिए मुश्किलें और बढ़ जाएंगी. फिर उनका जाना और मुश्किल होगा. यही वजह है कि उन्हें अभी बांग्लादेश भेजने का फ़ैसला लिया गया, ताकि कम से कम उसकी मां वहां आकर उनसे मिल सकती हैं.”
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