
महाराष्ट्र सदन घोटाले में पूर्व उप मुख्यमंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के नेता छगन भुजबल की गिरफ़्तारी के बाद राज्य की राजनीति गरमा गई है.
छगन भुजबल महाराष्ट्र के कद्दावर नेता हैं और उनकी गिरफ़्तारी एनसीपी के लिए बड़ा झटका है.
उनकी गिरफ़्तारी की ख़बर मिलने के साथ ही उनके गृह ज़िले नासिक में उनके समर्थकों ने हाइवे जाम कर दिया और विरोध-प्रदर्शन शुरू हो चुका है.
इसके बाद एनसीपी के नेता और राज्य विधान परिषद में विपक्षी दल के नेता धनंजय मुंडे के घर पर पार्टी के बड़े नेताओं ने आपात बैठक की है.
प्रवर्तन निदेशालय ने गिरफ़्तारी से पहले उनसे क़रीब 10 घंटे तक पूछताछ की थी. घोटाले के वक्त भुजबल महाराष्ट्र सरकार में लोकनिर्माण विभाग के मंत्री थे.

एनसीपी ने छगन भुजबल की गिरफ़्तारी को भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रतिशोध की राजनीति क़रार दिया है.
एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने कहा, "यह पूरी तरह से प्रतिशोध की राजनीति है. चार-पांच सालों से जो झूठा प्रचार किया जा रहा था उसको ही आधार देने के लिए कार्रवाई की गई है."
उनका कहना था कि भुजबल जब जांच में सहयोग कर रहे थे तो फिर गिरफ़्तारी का कोई सवाल नहीं उठता था क्योंकि वह भाग जाने वालों में से नहीं हैं.
उधर भाजपा नेता किरीट सोमैया ने भुजबल की गिरफ़्तारी पर कहा कि मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उनके द्वारा वर्ष 2012 में शुरू किए प्रयासों का यह नतीजा है.

किरीट सोमैया ने कहा कि अब महाराष्ट्र के 70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में भी कार्रवाई होगी.
उन्होंने धमकी भरे अंदाज़ में कहा कि इस मामले में राज्य के पूर्व उप मुख्यमंत्री और शरद पवार के भतीजे अजित पवार और पूर्व सिचाई मंत्री को भी जेल भिजवाएंगे.
ऐसे में एनसीपी के दूसरी पंक्ति के नेताओं पर गाज गिरने के आसार दिख रहे हैं.
बीबीसी संवाददाता अश्विन अघोर ने बताया कि छगन भुजबल दिन में ईडी के दफ़्तर पहुंचे थे और लंबी पूछताछ के बाद नाटकीय तरीक़े से देर रात उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया.

उन पर यह आरोप है कि उन्होंने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन के निर्माण में करोड़ों रुपये का भ्रष्टाचार किया है, उसका ठेका अपने ख़ास लोगों को दिया.
उन पर ये भी आरोप है कि उन्होंने अपने परिवार वालों की कंपनियों को या उनके नाम पर फर्ज़ी कंपनियां बनाकर निर्माण का ठेका दिया.
भुजबल की पेशी मंगलवार को ईडी की विशेष अदालत में होगी.
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