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जो खुद को बदलता नहीं वह आगे बढ़ता नहीं

।। दक्षा वैदकर।। परिवर्तन, बदलाव पर हम कई कहावतें और बातें सुन चुके हैं. जैसे ‘परिवर्तन ही संसार का नियम है’, ‘हर इनसान को बदलाव के दौर से गुजरना पड़ता है.’ ऐसे में कुछ लोग बदलाव को सकारात्मक रूप से लेते हैं, तो कुछ नकारात्मक. कुछ सालों के अंतराल में जो लोग मुङो देखते हैं, […]

।। दक्षा वैदकर।।

परिवर्तन, बदलाव पर हम कई कहावतें और बातें सुन चुके हैं. जैसे ‘परिवर्तन ही संसार का नियम है’, ‘हर इनसान को बदलाव के दौर से गुजरना पड़ता है.’ ऐसे में कुछ लोग बदलाव को सकारात्मक रूप से लेते हैं, तो कुछ नकारात्मक. कुछ सालों के अंतराल में जो लोग मुङो देखते हैं, वे कहते हैं कि ‘तुम बहुत बदल गयी हो. तुम्हारी शरारतें कम हो गयी हैं, थोड़ी गंभीर हो गयी हो.’ वे आगे यह भी जोड़ते है कि खुद को मत बदलो.

लोगों की बातें सुन यह सवाल मेरे मन में उठता रहा है कि क्या बदलाव जरूरी है? कहीं बदलाव से हमारी पहचान तो नहीं खो जायेगी? इन्हीं सवालों का जवाब मैंने तलाशने की कोशिश की और निष्कर्ष निकला कि बदलाव बेहद जरूरी है. बदलाव नहीं होगा, तो इनसान का जीवन नीरस हो जायेगा, चुनौतियां खत्म हो जायंेगी और उसका विकास रुक जायेगा.

हजारों साल पहले पृथ्वी पर जो जीव हुआ करते थे, उनमें से कइयों का आज नामोनिशान नहीं है. इसकी वजह यही है कि वे जीव परिस्थितियों, वातावरण के मुताबिक खुद को ढाल नहीं पाये और धीरे-धीरे लुप्त हो गये. जिन जीवों ने खुद को ढाल लिया, वे आज आंखों के सामने हैं. इनसानों के साथ भी ऐसा ही होता है. बस फर्क इतना है कि वे लुप्त तो नहीं होते, लेकिन भीड़ में उनकी कोई पहचान भी नहीं होती. उनका होना, न होना समान है. हमारे आसपास ऐसे कई लोग हैं, जो खुद को बदलना नहीं चाहते. जब कोई उन्हें कहता है कि ‘तुम्हें अब ये चीज अपनानी चाहिए, खुद में ये बदलाव लाना चाहिए’, वे बड़े गर्व से जवाब देते हैं, ‘मैं ऐसा ही हूं, मैं खुद को क्यों बदलूं?’ ऐसे लोग अपने काम करने का तरीका नहीं बदलते और परेशानियों में फंसे रहते हैं.

समझदार इनसान वही है, जो खुद को माहौल के हिसाब से ढाल ले. सी नील स्ट्रेट कहते हैं ‘परिवर्तन से डरनेवाले व्यक्ति का जीवन सबसे ज्यादा मुश्किल होता है, क्योंकि उसने अपने जीवन को उस सीमा तक घटा लिया है, जिसे वह आराम से संभाल सकता है. ऐसा व्यक्ति किसी भी परिवर्तन या चुनौती का स्वागत नहीं करता है, भले ही उससे वह प्रगति कर सकता हो.’

बात पते की..

बदलाव से डरे नहीं. उसे चुनौती के रूप में लें. जब तक आप खुद को आरामदेह स्थिति से नहीं निकालेंगे, आप तरक्की नहीं कर सकते.

बदलाव नहीं करेंगे, तो खुद को खो देंगे. यदि आप अंदाजा लगा सकते हैं कि कब झुकना है और कब दृढ़ रहना है, तो आप सही रास्ते पर हैं.

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